किडनी पुनर्जीवित करने के लिए आयुर्वेदिक दवा

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किडनी में गड़बड़ी का कोई एक वजह नहीं है जिसे दोष दिया जो सके। इसके लिए बहुत ऐसी वजह जिम्मेदार है। किडनी की बीमारी के लिए दूषित खान-पान और वातावरण को मुख्य कारण माना जाता है। गंदा मांस, मछली, अंडा, फल, भोजन और गंदे पानी का सेवन किडनी की बीमारी कारण बन सकता है। बढ़ते औद्योगिकीकरण, शहरीकरण और वाहनों के कारण पर्यावरण प्रदूषण बढ गया है। भोजन और पेय पदार्थों में भी कीटाणुनाशकों, रासायनिक खादों, डिटरजेंट, साबुत, औद्योगिक रसायनों के अंश पाएं जाते हैं। ऐसे में फेफड़े और जिगर के साथ ही किडनी भी सुरक्षित नहीं है। किडनी के मरीजों की संख्या दिन पर दिन बढ रही है। अधिकतर मरीजों को इस बीमारी की वजह से अपनी जान गवानी पड़ती है, क्योंकि वह नहीं जानते कि, किडनी को पुनर्जीवित किया जा सकता है। जी हां, आयुर्वेद एक मात्र उपचार है जो इस बीमारी को जड़ समेट खत्म करने में मदद करता है। लेकिन हमें इस बीमारी को पहचानने के लिए इसके लक्षणों को जानना बेहद जरूरी होता है, जिससे हम सहीं समय पर अपना इलाज करवा सके।


किडनी की बीमारी होने कारण –

·         अधिक शराब पीना व धूम्रपान करना

·         अधिक एंटीबायोटिक और पेन किलर लेना

·         नींद पूरी न होना

·         डायबिटीज का सही इलाज न लेना

·         हाई ब्लड प्रेशर को अनदेखा करना

·         अधिक कैफीन लेना

·         कम पानी पीना

·         पेशाब को रोके रखना

·         अधिक मात्रा में एनिमल प्रोटीन लेना

किडनी की बीमारी के लक्षण -

किडनी की बीमारी में सबसे बड़ी समस्या यह है कि शुरूआत में इसके लक्षण नजर नहीं आते हैं, लेकिन जब यह बीमारी अंतिम स्टेज पर पंहुच जाती है तब इसके लक्षण नजर आने लगते हैं और यह बीमारी गंभीर रूप ले चुकी होती है –

·         थकान और कमजोरी महसूस होना

·         पेशाब करते वक्त दर्द होना

·         चेहरे और पैरों में सूजन आना

·         बार-बार पेशाब आना

·         पीठ के नीचे के तरफ दर्द होना

·         भूख न लगना

·         उल्टी और उबकाई आना

·         खुजली और पूरी बॉडी पर रैशेज होना

इन लक्षणों से मुक्ति पाने के लिए आयुर्वेद सबसे अच्छा उपचार है।

किडनी को स्वस्थ रखने के आसान तरीके - 

·         फिट रखें - नियमित रूप से एरोबिक व्यायाम और दैनिक शारीरिक गतिविधियां, ब्लड प्रेशर सामान्य रखने में और रक्त शर्करा को नियंत्रण करने में मदद करती है। इस तरह से शारीरिक गतिविधियां, डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर के खतरे को कम कर देती है और इसी प्रकार सी.के.डी. के जोखिम को कम किया जा सकता है।

·         संतुलित आहार - ताजे फल और सब्जियां युक्त आहार लें। आहार में परिष्कृत खाघ पदार्थ, चीनी, फेट और मांस का सेवन घटाना चाहिए। वह लोग जिनकी उम्र 40 के ऊपर है, भोजन में कम नमक लें, जिससे हाई ब्लड प्रेशर और किडनी स्टोन के रोकथाम में मदद मिले।

·         वजन को नियंत्रण में रखें - हेल्दी भोजन और नियमित व्यायाम के साथ अपने वजन का संतुलन बनाए रखें। यह डायबिटीज, दिल का रोग और सी.के.डी. के साथ जुड़ी अन्य बीमारियों को रोकने में मदद करता है।

·         धूम्रपान न करें - धूम्रपान करने से एथीरोस्क्लेरोसिस होने की संभावना हो सकती है। यह किडनी में खून प्रवाह को कम कर देते हैं, जिससे किडनी के कार्य करने की क्षमता कम हो जाती है। रिसर्च के मुताबिक, धूम्रपान की वजह से उन लोगों में जिनके अंतर्निहित किडनी डिजीज है या होने वाली है, उनके किडनी की कार्यक्षमता में गिरावट तेजी से आती है।

·         ओ.टी.सी (ओवर द काउंटर) दवाईयों का सेवन - लंबे समय तक दर्द निवारक दवाई लेने से किडनी को नुकसान होने का भी रहता है। रोज ली जाने वाली दवाईयां जैसे – आईब्यूप्रोफेन, डायक्लोफेनिक, नेपरोसिन आदि किडनी को क्षति पंहुचाती है, जिससे अंत में किडनी फेल्योर हो सकता है। आप अपने दर्द को नियंत्रित करने के लिए डॉक्टर से संपर्क करें और अपनी किडनी को किसी भी प्रकार से खतरे में न डालें।

·         पानी अधिक पिएं - रोज 3 लीटर से अधिक 10-12 गिलास पानी पिएं। पर्याप्त पानी पीने से यूरिन पतला आता है और शरीर से कभी विषाक्त अपशिष्ट पदार्थों को निकालने और किडनी स्टोन को बनने से रोकने में सहायता मिलती है।

·         किडनी का चेकअप - किडनी डिजीज एक छुपी हुई और गंभीर समस्या है। आखिरी स्टेज तक पहुंचने तक इनमें किसी भी प्रकार का लक्षण नहीं दिखते हैं। किडनी डिजीज को रोकने और शीघ्र निदान के लिए सबसे शक्तिशाली और प्रभावी उपाय है। साथ ही नियमित रूप से किडनी का वर्षिक चेकअप कराना चाहिए। इस चेकअप में हाई जोखिम वाले व्यक्ति के लिए बेहद जरूरी है कि, जो डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, मोटापे से ग्रस्त हैं और जिनके परिवार में किडनी की बीमारियों का इतिहास है। यदि आप अपनी किडनी से प्रेम करते हैं और अधिक महत्वपूर्ण है, तो 40 साल की आयु के बाद नियमित रूप से अपनी किडनी की जांच कराना न भूले। किडनी डिजीज और उसके निदान के लिए सबसे सरल विधि है कि, साल में एक बार ब्लड प्रेशर का माप लेना, रक्त में क्रिएटिनिन को मापना और यूरिन जांच करवाना चाहिए। 

किडनी को पुनर्जीवित करने के लिए आयुर्वेदिक दवा -

कोई भी रोग केवल शारीरिक और मानसिक नहीं हो सकता है। शारीरिक रोगों का प्रभाव शरीर पर पड़ता है और मानसिक रोगों का प्रभाव मन पर पड़ता है। इसलिए सभी रोगों को मनो - दैहिक मानते हुए चिकित्सा की जाती है। इसमें किसी भी प्रकार के रासायनिक पदार्थों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। इसलिए इन औषधियों से हमारे शरीर पर किसी प्रकार का कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है। आयुर्वेद में रोग प्रतिरोध क्षमता विकसित करने पर बल दिया जाता हैं, क्योंकि इससे किसी भी प्रकार का रोग न हो। आयुर्वेद और योग से असाध्य रोगों का सफल उपचार किया जाता है। वह रोग भी ठीक हो सकता है जिनका अन्य चिकित्सा पद्धतियों में कोई उपचार संभव नहीं है।

·         कासनी - कासनी एक बारहमासी पौधा है, जिसका वैज्ञानिक नाम सिकोरियम इंटीबस है। भारत में यह औषधि चिकोरी के नाम से जानी जाती है। इसके इस्तेमाल से कई तरह की बीमारियों से छुटकारा पाया जा सकता है जैसे कि, कैंसर की बीमारी को रोकने में मदद करना, किडनी खराब होने के कारण पैरों में आनी वाली सूजन, मोटापा कम करने में सहयोग देना, दिल के रोगियों के लिए भी फायदेमंद साबित हुई है।

·         हल्दी - लो यूरिन वॉल्यूम, रीनल फेल्योर और कुछ सामान्य इंफेक्शन के इलाज में हल्दी का इस्तेमाल होता है। इसके कई फायदे हैं जैसे, इंफेक्शन के खतरे को घटाता है, सूजन कम करता है, किडनी की पथरी बनने से बचाव करता है और हल्की किडनी सिस्ट को भी ठीक करता है। 

·         गोखरू - गोखरू के वृक्ष की छाल यूटीआई (यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन) के इलाज, पेशाब के समय होने वाली जलन के लिए अद्भूत जड़ी-बूटी है। यह बार-बार यूरिन होने की इच्छा के समय गोखरू की छाल ठीक तरीके से फ्लो को नियंत्रित करती है। किडनी स्टोन को खत्म करने के लिए गोखरू का इस्तेमाल सदियों से होता आ रहा है।

·         अदरक - शरीर से अपशिष्ट उत्पादों को बाहर निकालने के लिए अदरक का सालों से इस्तेमाल होता आ रहा है। यह किडनी और लिवर से टॉक्सिन्स हटाता है। अदरक एंटी-इंफ्लेमेटरी असर इंफेक्शन की वजह हुए किडनी में सूजन और दर्द को कम करने में मदद करता है।  

·         गोरखमुंडी - अगर किसी को किडनी का इन्फेक्शन है तो पेशाब के लिए बार जाना पड़ता है, पेशाब पास करते समय जलन या खून आ सकता है। इसके लिए यह जड़ी-बूटी बहुत लाभदायक साबित हुई है।

·         त्रिफला - तीन कार्याकल्प कर देने वाली जड़ी-बूटियों से तैयार त्रिफला किडनी के सभी फंक्शन के सुधार में मददगार है। त्रिफला उत्सर्जन तंत्र के दो प्रमुख अंग लिवर और किडनी को मजबूत बनाता है।

·         वरुण - यह प्राकृतिक रूप से किडनी के स्टोन की समस्या को ठीक करता है साथ ही अन्य किडनी से जुडी बीमारियों को ठीक करने में मददगार है। यह खून को साफ करता है और यूरिन फंक्शन को मजबूत करता है।

·         पलाश - पलाश एक पेड़ है, जिस पर लाल या नारंगी रंग के फूल होते हैं। यह फूल ठंडक देने वाले होते हैं और यूरिन के फ्लो को नियमित करने में मदद करते हैं। साथ ही यूरिन पास करने के दौरान होने वाली जलन से भी आराम देने में मददगार हैं।  

·         पुनर्नवा - इसका वैज्ञानिक नाम बोअरहेविया डिफ्यूजा है। यह सभी जानते हैं कि किडनी शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है और पुनर्नवा ही ऐसी जड़ी-बूटी हैं, जो किडनी की सफाई का कार्य करती है।

·         गुदुची - गुदुची के एस्ट्रिन्जेंट गुण के बारे में विस्तार से बताया गया है। इसके कारण यूरिनरी दिक्कतों के इलाज के लिए यह एक बेहतरीन जड़ी-बूटी है। जिन लोगों को यूरिन पास करने में मुश्किल होती है, वो डॉक्टर की सलाह से गुदुची ले सकते हैं। 

यह जड़ी-बूटियां रोग को जड़ से खत्म करने में मदद करती है, लेकिन इनका इस्तेमाल करने से पहले एक बार डॉक्टर पुनीत धवन से जरूर संपर्क करें। क्योंकि किडनी अलग-अलग बीमारियों में अलग-अलग जड़ी-बूटियां काम आती है। 



आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है, जो हर रोग को जड़ से खत्म करने में मदद करती है। कर्मा आयुर्वेदा में किडनी का आयुर्वेदिक उपचार किया जाता है और यह भारत का एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक किडनी उपचार केंद्र है। कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल सन् 1937 में धवन परिवार द्वारा स्थापित किया गया था और आज इसका नेतृत्व डॉ. पुनीत धवन कर रहे हैं। डॉ. पुनीत धवन ने सफलता के साथ 35,000 से अधिक मरीजों का इलाज करके उन्हें किडनी की गंभीर बीमारी से छुटकारा दिलाया है। साथ ही, जिन लोगों को डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट करवाने की नौबात 

आ गई थी उन्हें भी इन दर्दनाक प्रक्रियाओं से मुक्त किया है।

प्राकृतिक चिकित्सा प्रणाली चिकित्सा की एक रचनात्मक विधि है। आयुर्वेद किडनी की समस्या जिसका लक्ष्य प्राकृतिक प्रचुर मात्रा में उपलब्ध तत्वों में उचिक इस्तेमाल द्वारा रोग का मूल कारण सामाप्त करना है। यह न केवल एक चिकित्सा पद्धति है, बल्कि मानव शरीर में उपस्थित आंतरिक महत्वपूर्ण शक्तियों या प्राकृतिक तत्वों के अनुरूप एक जीवनशैली है। यह जीवन कला तथा विज्ञान में एक संपूर्ण क्रांति है। इस प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति में प्राकृतिक भोजन विशेषकर ताजे फल तथा कच्ची व हल्की पक्की सब्जियां विभिन्न बीमारियों के इलाज में निर्णायक भूमिका निभाती है। प्राकृतिक चिकित्सा निर्धन व्यक्तियों और गरीब देशों के लिए विशेष रूप से वरदान है।

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