मंजिष्ठा की बेल है उत्तम आयुर्वेदिक औषधि


मंजिष्ठा या मजीठा की बेल एक औषधीय बेल है। इस बेल के उपयोग से कई रोगो के लिए आयुर्वेदिक औषधि तैयार की जाती है। यह भारत में काफी मात्रा में पाई जाती है। मंजिष्ठा भारत में केवल पहाड़ी क्षेत्रों में पाई जाती है। यह एक आयुर्वेदिक औषधि है इसी कारण भारत के कुछ हिस्सों में इसकी खेती भी की जाती है। 

मंजिष्ठा बेल का परिचय :-

मंजिष्ठा का पौधा बेल के रूप में होता है। मंजिष्ठा बेल के पत्ते झाड़ीनुमा होते है। इसकी जड़ें जमीं में काफी दूर-दूर तक फ़ैल जाती है। इसकी लताएं तूसरे वृक्षों के सहारे से लाफ़ी ऊपर तक चढ़ सकती है। इसी कारण इसकी टहनियां कई फुट तक लम्बी हो जाती है। इसकी टहनियां लम्बी, नर्म, खुरदरी, और जड़ की तरफ से काफी कठोर होती है। इसकी जड़ तोड़ने पर अंदर से लाल रंग की दिखाई देती है, ठीक इसी तरह इसकी टहनियां भी तोड़ने पर लाल रंग की होती है। मंजिष्ठा की पत्तियां चारों तरफ लगती हैं, जिसकी 2 छोटी और 2 बड़ी पत्तियां होती हैं। इसके फूल गुच्छों में छोटे-छोटे होते हैं। मंजिष्ठा के फल काळा रंग के और चने के आकर के सामान होते है। इसके रस का स्वाद मीठा, तीखा, और कुछ-कुछ कषैला होता है। इसके फूलों का रंग सफ़ेद होता है जो देखने में काफी सुन्दर होते है। इसके फूल गुच्छे में होते है। इसकी तासीर गरम होती है।

मंजिष्ठा बेल के फायदें :-

मंजिष्ठा बेल अपने आयुर्वेदिक औषधीय गुणों के कारण काफी खास है। यह हमें छोटे से लेकर कई जानलेवा गंभीर रोगो से मुक्त करने में मदद करती है। यह त्वचा को निखारने से लेकर किडनी तक को ख़राब होने से बचाती है। मंजिष्ठा की मदद से हम ऐसे रोगो से निदान पा सकते है जिनसे भविष्य में हमारी किडनी फेल हो सकती है। निम्नलिख रोगो के कारण से हमति किडनी ख़राब होने का खतरा बढ़ता है। तो आइये जानते है मंजिष्ठा हमें किन किन रोगो से बचाती है -

सूजन -
मंजिष्ठा बेल की जड़ों से शरीर में होने वाली हर किस्म की सूजन से निदान प्राप्त होता है। प्राचीन समय से ही मंजिष्ठा की जड़े एंटी-इंफ्लामैंट्री (anti-inflammatory) के रूप में उपयोग की जा रही है। यह शरीर में आने वाली सूजन को खत्म करने में काफी सहायक है। मजिष्ठा की मदद से सूजन को खत्म करने के लिए आप मंजिष्ठा की जड़ और मुलेठी को एक सामान मात्रा में पानी के साथ पीसकर एक लेप बना लें। दोनों के मिलान से बने इस लेप को सूजी हुई जगह पर दिन में दो बार मालिश करे। मालिश करने से आपको सूजन और दर्द में लाभ मिलेगा। ध्यान से यह सिर्फ बहरी सूजन में ही असरदार है। किडनी ख़राब होने पर शरीर के निचले हिस्से में अक्सर काफी सूजन देखि जाती है। यह किडनी ख़राब होने का एक आम लक्षण है।

मूत्र विकार -
मंजिष्ठा एक मूत्रवर्धक आयुर्वेदिक औषधि है। मंजिष्ठा अग्न्याशय, यकृत, प्लीहा, और गुर्दे को साफ़ रखने में मदद करती है। जिसके कारण मूत्र नलिकाओं में कोई अवरोध उतपन्न नहीं होता। परिणामस्वरूप मूत्र संक्रमण और अन्य मूत्र विकार होने का खतरा ख़त्म हो जाता है।

पथरी -
मंजिष्ठा की मदद से हम हर प्रकार की पथरी से आसानी से छुटकारा पा सकते है। क्योंकि इसकी मदद से गुर्दे की सफाई होती है तो गुर्दे में होने वाली पथरी के आसार खत्म हो जाते है। यदि आप या आपका कोई परिजन पित्त की पथरी से पीड़ित है तो आप मंजिष्ठा की जड़ को पीस लें और उसे सूती कपडे से छान लें। रोजाना 1 ग्राम दिन में 3 बार इस चूर्ण का सेवन करे। इसकी मदद से पित्त की पथरियां गलकर निकल जाती है।
इसके अलावा आप मंजिष्ठा की जड़, तिवर्सी के बीज, सफेद जीरा, सौंफ, आंवला, बेर की मींगी, शोधी हुई गंधक तथा मैनसिल को एक सामान 10-10 ग्राम की मात्रा में लें। इनसभी को एकसाथ मिला बारीक़ कूट कर एक चूर्ण बना लें। इस चरण को रोजाना सुबह-शाम दिन में दो बार 2 चुटकी शहद के साथ खाएं। ऐसा करने से सभी प्रकार के पथरी रोग में आराम मिलता है। साथ ही आपकी किडनी भी साफ़ रहती है। किडनी साफ़ रहने से आपको किडनी फेल्योर का खतरा नहीं रहता।

मधुमेह -
मंजिष्ठा की मदद से आप मधुमेह के रोग से भी आसानी से मुक्ति पा सकते है। इसके पत्तों में इन्सुलिन की मात्रा को बढ़ाने की ताकत होती है। शरीर में इन्सुलिन की मात्रा बढ़ने से रक्त में बढ़ने वाले मीठे को इन्सुलिन कम करने में मदद करता है। ध्यान दें इसका यह गुण सिर्फ इसके ताज़ा पत्तों में ही मिलता है। यदि आप मधुमेह की कोई खास दवा लें रहे है तो आप चिकित्सक की सलाह से ही इसका सेवन करे।

रक्त शोधन -
स्वास्थ शरीर, अच्छी त्वचा और लम्बे बालों के लिए हमारे शरीर में शुद्ध रक्त की आवश्यक्ता होती है। लेकिन आजकल के लाइफस्टाइल के कारण हमारा रक्त शुद्ध की जगह अशुद्ध होता जा रहा है। क्योंकि रक्त को शुद्ध करने का कार्य किडनी का होता है। बदलते लाइफस्टाइल के कारण हमारी किडनी पर काम का बोझ पड़ रहा है। जिसके कारण वह रक्त को साफ़ नहीं कर पा रही है। हम मंजिष्ठा की मदद से रक्त को शुद्ध कर सकते है। यह रक्त को साफ करता है और इससे सभी विषाक्‍त पदार्थों को हटा देता है। त्‍वचा रोगों के लक्षण प्रभावी रूप से मंजिष्ठा द्वारा दूर किये जाते हैं। यह प्रतिरक्षा (immunity) के स्‍तर को भी बढ़ावा देता है।

हड्डियों को करे मजबूत -

मंजिष्ठा की मदद से हम हड्डियों को मजबूत कर सकते है। किडनी हड्डियों को मजबूती प्रदान का विशेष कार्य भी करती है। किडनी ख़राब होने पर किडनी हड्डियों को मजबूती देने का कार्य नहीं कर पाती। ऐसे में आप 1 से 3 ग्राम मंजिष्ठा का पाउडर शहद के साथ सुबह-शाम खाने से हड्डी की मृदुता, हड्डी की कमजोरी आदि दूर हो जाती हैं। आप मंजिष्ठा और मुलेठी को चावल के पानी के साथ मिलकर पीस लें। पिक्सने के बाद तैयार इस लेप को टूटी हुई हड्डी की जगह पर लगा दे। इससे हड्डी में होने वाली सूजन और दर्द में आराम मिलेगा।

मंजिष्ठा के सेवन से सावधानियां :-

आपको बता दें की मंजिष्ठा एक ऐसी आयुर्वेदिक औषधि है जिसके सेवन से आपको कोई भी नुकसान नहीं होता। लेकिन इसके सेवन से पहले एक बार चिकित्सक से सलाह जरूर लें। इसके सेवन के दौरान हमें कुछ बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए। आइये जानते है की मंजिष्ठा के सेवन के दौरान हमें किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए-
Ø  मंजिष्ठा के सेवन से आपके मूत्र के रंग में परिवर्तन सकता है।  आपके मूत्र का रंग नारंगी या भूरे रंग का हो सकता है। ऐसा होने पर आप मंजिष्ठा का सेवन थोड़ा कम कर दे।
Ø  इसके सेवन से आपके आंसू और लार पर प्रभाफ पड़ सकता है। यानि इसके निर्माण में कमी सकती है। हांलांकि यह प्रभाव बस  अस्थायी होते हैं।
Ø  मंजिष्ठा का सेवन स्तनपान कराने वाली महिलों को नहीं करण अकारण चाहिए। क्योंकि इसके सेवन से दुग्ध का निर्माण थोड़ा कम हो जाता है।
Ø  गर्भवती महिलों को इसका सेवन कम या ना के बरारबर ही करना छाइये। क्योंकि कुछ लोगो का मानना है की इससे प्रसव के दौरान महिलों को दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है।

कर्मा आयुर्वेदा द्वारा किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार :-

आप सभी सी बात से वाकिफ है की आयुर्वेदिक उपचार से बेहतर कोई भी उपचार नहीं है। क्योंकि आयुर्वेद में एलोपैथी की तरह केमिकल का प्रयोग नहीं होता बल्कि प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है। हम आयुर्वेद के जरिये हर बीमारी का इलाज कर सकते है। आज के समय में "कर्मा आयुर्वेदा" प्राचीन भारतीय आयुर्वेद के जरिए  "किडनी फेल्योर" जैसी गंभीर बीमारी का सफल इलाज कर रहा है।
धवन परिवार द्वारा कर्मा आयुर्वेद की स्थापना वर्ष 1937 में की गयी थी। वर्तमान समय में डॉ. पुनीत धवन कर्मा आयुर्वेद को संभल रहे है। आज के समय में आपको अनेक आयुर्वेदिक उपचार केंद्र मिल जाएंगे, लेकिन कर्मा आयुर्वेद किडनी सम्बंधित रोग को ठीक करने को लेकर रामबाण साबित हुआ है। कर्मा आयुर्वेदा काफी लंबे समय से किडनी की बीमारी से लोगो को मुक्त कर रहा है।
 डॉ. पुनीत धवन ने  केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्वभर में किडनी की बीमारी से ग्रस्त मरीजों का इलाज आयुर्वेद द्वारा किया है। आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता हैं। जिससे हमारे शरीर में कोई साइड इफेक्ट नहीं होता हैं। आयुर्वेद बीमारी को जड़ से ख़त्म करता है। आयुर्वेद भले ही अपना असर धीरे - धीरे दिखाए लेकिन यह अंग्रेजी दवाइयों की तरह शरीर पर कोई अन्य प्रभाव नहीं छोड़ता। क्यूंकि आयुर्वेदिक दवाओं में कोई कैमिकल नहीं होता, जिसके चलते यह हमारे शरीरपर कोई दुष्प्रभाव नहीं छोड़ता।



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