मानव शरीर में किडनी का बहुत बड़ा महत्व है। बिना
किडनी के मानव शरीर काम नहीं कर सकता, क्योंकि यह हमें स्वस्थ रखने के लिए कई
कार्य करती है जो कोई दूसरा अंग नहीं कर सकता। हमारे शरीर में दो किडनियां होती
है, जोकि हमारी पसलियों के निचे पीठ की तरफ होती है। किडनी का आकर राजमा की तरह
होता है, यह भले ही आकार में छोटी होती है लेकिन इसके बहुत से काम है। किडनी हमारे
शरीर में अपशिष्ट उत्पाद क्षार और अल्म जैसे जहरीले तत्वों को बाहर निकालने का काम
करती है। किडनी इसके अलावा रक्त शोधन का कार्य भी करती है जिससे पुरे शरीर में
शुद्ध रक्त प्रवाह होता रहता है, किडनी हड्डियों को मजबूत करने का भी कार्य करती
है। किडनी की विफलता एक गंभीर समस्या है। किडनी खराब हो जाने के कारण इसके
दुष्प्रभावों को ना केवल रोगी बल्कि उसके परिवार को भी सहन करना पड़ता है। किडनी
बीमारी बहुत सी नकारात्मक प्रभावों को अपने साथ साथ में लाती है।
किडनी खराब होने पर शारीरिक समस्याएँ :-
जब किसी व्यक्ति की किडनी खराब हो जाती है उस
दौरान उसके शरीर में कई शारीरिक बदलाव आने लगते है जिसे आम भाषा में किडनी खराब
होने के लक्षण की संज्ञा भी दी जाती है। किडनी खराब होने पर रोगी का जीवन एक दम
बदल जाता है, जिसे वापिस ठीक कर पाना बहुत ही जटिल होता है। किडनी फेल्योर के
दौरान आने वाली समस्याएं निम्नलिखित है –
उच्च रक्तचाप –
किडनी खराब होने के पीछे उच्च रक्तचाप की समस्या
होती है। किडनी खराब होने वह रक्त शोधन जैसा अपना कार्य करने में असमर्थ हो जाती
और क्षार और अल्म की शरीर में मात्रा बढ़ने लगती है। रक्त सोडियम की अधिक मात्रा और
किडनी पर दबाव बढ़ने के कारण उच्च रक्तचाप की समस्या हो जाती है। किडनी रोगी का
रक्तचाप नियंत्रण में करना बहुत जटिल होता है।
किडनी खराब होने पर रोगी को मूत्र संक्रमण की कई समस्यों से गुजरना पड़ता है;
पेशाब मे खून आना
–
पेशाब में खून का आना
वैसे तो कई बीमारियों की तरफ संकेत देता है, लेकिन पेशाब मे खून आना किडनी खराब
होने की तरफ एक साफ संकेत माना जाता है। यदि आप पेशाब की ऐसी समस्या से जूझ रहे है
तो इसे गंभीरता से ले और तुरंत चिकित्सक से सलाह ले।
पेशाब के दौरान
जलन -
पेशाब करते समय जलन होना मूत्र संक्रमण की तरफ
संकेत करता है। अगर इस समस्या का समय पर निदान ना किया जाए तो इससे किडनी प्रभावित
होकर खराब हो जाती है। साथ ही इससे अन्य शारीरिक समस्याओं से गुजरना पड़ सकता है।
रुक – रुक कर पेशाब आना –
तेज़ पेशाब आने का महसूस होने पर अगर आपको लम्बे
समय से रुक रुक कर पेशाब आता है तो यह इसे हल्के में ना लें। किडनी रोगी को अक्सर
इस समस्या से जूझना पड़ता है क्योंकि शरीर में पनी की कमी हो जाती है साथ ही शरीर
में विषाक्त तत्वों का स्तर बढ़ जाता है।
पेशाब की मात्रा
में परिवर्तन –
पेशाब की मात्रा में परिवर्तन
पर लोग ज्यादा ध्यान नहीं देते। लेकिन यह एक बड़ी समस्या है, यह किडनी खराब होने की
तरफ संकेत करता है। अगर आपको रोजाना के मुकाबले कम या अधिक पेशाब आता है तो इस
समस्या को हल्के में ना लें। किडनी की समस्या होने पर व्यक्ति को अक्सर कम मात्रा
में पेशाब आता है। कुछ लोगो को पेशाब आने का दाब तो महसूस होता है लेकिन आता नहीं
है। पेशाब से जुडी इन समस्याओं से किडनी रोगी जूझना पड़ता है। औषधियों की मदद से और
पेय के सेवन से इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।
पेशाब मे प्रोटीन आना –
शरीर को बढ़ने के लिए प्रोटीन की आवश्यकता होती
है जोकि हमारे रक्त में मौजूद होता है। प्रोटीन किडनी द्वारा रक्त के माध्यम से
पुरे शरीर में पहुँचता है। किडनी खराब होने पर प्रोटीन रक्त में जाने की बजाय
पेशाब के साथ शरीर से बाहर आने लगता है, यह एक गंभीर समस्या है। बिना प्रोटीन के
शरीर कमजोर होना शुरू हो जाता है जिसके कारण रोगी को और भी अधिक समस्याओं का सामना
करना पड़ता है।
पेशाब के रंग में परिवर्तन –
पेशाब के रंग में परिवर्तन वैसे तो कुछ अन्य
कारणों से भी आ सकता है लेकिन इसका सबसे बड़ा कारण है मूत्र संक्रमण या किडनी का
खराब होना। ऐसे में पेशाब का रंग पीला, नारंगी या लाल रंग में बदल जाता है। इसके
साथ साथ रोगी को पेशाब से जुडी और भी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। अगर यह
समस्या मूत्र संक्रमण के कारण से है तो यह भविष्य में किडनी खराब हो सकती है।
दोनों ही स्थितियों में किडनी को ही नुकसान होना है। बता दें कम पानी पीने और देर
तक पेशाब रोकने से भी पेशाब के रंग में परिवर्तन होता है, इसमें पेशाब पीले रंग
में बदल जाता है।
गंधदार पेशाब –
अगर आपको अचानक से लम्बे
समय तक तेज़ बदबूदार पेशाब आना शुरू हो जाता है तो इसका मतलब यह की किडनी अपना काम
ठीक से नहीं पा रही है। यानि वह खराब होने वाली है। तुरंत अपने खानपान में बदलाव
करे।
पेट में तेज दर्द
–
किडनी खराब होने के दौरान
पेट के दाई या बाई ओर तेज़ असहनीय दर्द होता होता। इस दौरान होने वाले दर्द को सहन
करना बहुत ही मुश्किल होता है। यह दर्द लम्बे समय से लेकर कुछ समय तक हो सकता है।
ठंड के साथ तेज
बुखार –
किडनी खराब होने पर रोगी
को कंपकंपी ठण्ड के तेज़ बुखार का सामना करना पड़ता है। बुखार आने की यह समस्या कई
दिनों तक रह सकती है। बता दे अगर आपको कई दिनों से कंपकंपी ठण्ड के साथ बुखार है
तो किडनी की जांच जरुर करवाएं।
बार – बार
उल्टियां आना –
किडनी खराब होने पर रोगी
को बार बार उल्टियाँ आने लगती है। क्योंकि किडनी खराब होने के कारण रोगी का पाचन
तन्त्र खराब हो जाता है जिसके कारण उल्टी की समस्या होती है। इसके अवाला किडनी
खराब होने के चलते रोगी के शरीर में विषाक्त प्रदार्थ की मात्रा बढ़ी हुई होती है
जिसके कारण रोगी का जी मचला रहता है उसे उल्टी की इच्छा होती है और कुछ भी खाने पर
उल्टियाँ होती है। ध्यान दें यह स्थति कई कारणों से उत्पन्न हो सकती है जैसे अपच,
आहार में विषाक्त तत्व उत्पन्न होने के कारण आदि।
सांस लेने में तकलीफ –
किडनी खराब होने पर शरीर मे पानी की मत्रा बढ़ने
लगती है। यह पानी बाकि अंगों के मुकाबले फेफड़ों में अधिक जमा हो जाता है। फेफड़ों
में पानी की अधिक मात्रा होने के कारण सांस लेने मे दिक्कत होने लगती है। अगर आपको
अचानक छाती में भारीपन और लेने में दिक्कत होने लगे तो यह किडनी खराब होने का साफ
संकेत है। अधिक धुम्रपान करने के कारण से भी यह समस्या उत्पन्न हो सकती है।
आँखों के नीचे सूजन –
अचानक आँखों के नीचे सूजन आ जाए और लम्बे समय तक
रहे या बार बार सूजन आती जाती रहे तो तुरंत अपनी किडनी की जांच कराएं। आँखों के
नीचे किडनी खराब होने का संकेत है।
अचानक बेहोश होना –
किडनी खराब होने पर रोगी अचानक बेहोश हो जाता है।
शरीर में जमा अपशिष्ट उत्पाद, क्षार और अल्म व प्रोटीन की कमी के कारण शरीर में
कमजोरी आ जाती है जिसके कारण रोगी बेहोश हो जाता है। इस समय किडनी को ठीक करना
बहुत मुश्किल होता है। ध्यान दें शारीरिक कमजोरी के कराण से भी अचानक बेहोशी आ
सकती है।
शरीर में सूजन –
किडनी ख़राब होने पर अन्य समस्याओं के साथ साथ
सूजन की समस्या भी आती है। इसके पीछे शरीर में जमा विषाक्त तत्व होते है जो किडनी
खराब होने के कारण शरीर से बाहर नहीं निकल पाते। इसके साथ रक्त में प्रोटीन की कमी
से भी सूजन आ सकती है। किडनी खराब होने पर रोगी के कमर के नीचे, पैरों में, पेट
में और हाथों में भी सूजन देखि जाती है। बता दें की सूजन आने के और भी कई कारण हो
सकते है।
किडनी फेल्योर में डायलिसिस :-
किडनी खराब होने पर गंभीर समस्याओं के बारे में
आपने ऊपर विस्तार से जाना। किडनी खराब होने के बाद रोगी को ना केवल ऊपर लिखी
समस्याओं से गुजरना पड़ता है बल्कि उसे गंभीर उपचार से भी गुजरना पड़ता है। किडनी
फेल्योर का उपचार भी बहुत जटिल होता है। इस रोग के अंतिम चरण में रोगी को डायलिसिस
से गुजरना पड़ता है जो बहुत पीड़ादायक होता है। डायलिसिस रक्त छानने की एक कित्रिम
क्रिया है जो शरीर से अपशिष्ट उत्पादों और एनी विषाक्त तत्वों शरीर से बाहर
निकालने में मदद करता है। किडनी खराब होने पर शरीर में पानी की मात्रा बढ़ जाती है
और रक्त मात्रा कम हो जाती है जिसे डायलिसिस द्वारा ठीक करने की कोशिश की जाती है।
डायलिसिस किडनी फेल्योर का सफल उपचार नहीं है यह सिर्फ रोगी को राहत देने का कार्य
करता है। हर रोगी इस उपचार को सहन नहीं पाता क्योंकि इसके दौरान रोगी को पीड़ा का
सामना करना पड़ता है।
डायलिसिस दो प्रकार का होता
है, पहला : हीमोडायलिसिस और दूसरा :
पेरिटोनियल डायलिसिस
हिमोडायलिसिस –
हिमोडायलिसिस किडनी फेल्योर से सबसे अधिक
इस्तेमाल किया जाने वाला डायलिसिस है। डायलिसिस की इस परिकारिया में हिमोडायलिसिस
मधीं की मदद से कित्रिम किडनी में खून साफ किया जाता है, जिसमे ए. वी. फिस्च्युला अथवा डबल ल्यूमेन केथेटर की
सहायता से शरीर से रक्त निकाला जाता है। इसी क्रिया द्वारा रक्त शरीर में वापिस
भेजा जाता है। हिमोडायलिसिस मशीन द्वारा शरीर
में मौजूद अपशिष्ट उत्पादों को कम करने की कोशिश की जाती है। रोगी की हालत के आधार
पर डायलिसिस किया जाता है अगर रोगी की हालत अधिक खराब है तो उसका डायलिसिस हर दिन
या एक दिन के अन्तराल के बाद किया जाता है वहीं अगर रोगी स्वस्थ है तो उसका
डायलिसिस सप्ताह और माह में किया जाता है।
पेरिटोनियल डायलिसिस –
पेट का डायालिसिस (सी. ए.
पी. डी.) या पेरिटोनियल डायलिसिस एक जटिल परिक्रिया है। इस डायलिसिस को रोगी अपने
घर पर ही कर सकता है। इस डायलिसिस में किसी प्रकार की मधीं की जरुरत नहीं पडती। इस
डायलिसिस में एक खास प्रकार की कई छेदों वाली नरम नली एक सामान्य ओपरेशन (केथेटर)
द्वारा पेट में डाली जाती है। इस नाली के डालने के बाद नली द्वारा पी। डी। द्रव
पेट में डाला जाता है। कई घंटों के बाद एक अन्य नली के सहारे से पेट में डाले गये
द्रव को पेट से निकाल लिया जाता है। इस द्रव के साथ पेट से सारा अपशिष्ट उत्पाद भी
बाहर आ जाता है। डायलिसिस का तरीका हिमोडायलिसिस की तुलना में अधिक जटिल और
खर्चीला होता है, साथ ही लम्बे समय तक चलता है।
कर्मा आयुर्वेदा द्वारा किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार :-
आपने ऊपर किडनी फेल्योर के कारण रोगी को होने
वाली समस्यों के बारे में विस्तार से जाना। एलोपैथी द्वारा किडनी फेल्योर का सफल
उपचार मौजूद नहीं है। एलोपैथी द्वारा इस रोग से राहत भर ही मिल सकती है, लेकिन
आयुर्वेद द्वारा इस बीमारी को जड़ से खतम किया जा सकता है। आयुर्वेद किडनी फेल्योर जैसी
जानलेवा बीमारी से रोगी को आसानी से छुटकारा दिलवाता है वो भी बिना डायलिसिस और
बिना किडनी ट्रांसप्लांट किए।
‘कर्मा आयुर्वेदा’ किडनी फेल्योर की जानलेवा
बीमारी का सफल उपचार आयुर्वेद की मदद कर रहा है। कर्मा आयुर्वेद कई दशकों से किडनी
फेल्योर के मरीजो को रोगमुक्त कर रहा है। कर्मा आयुर्वेदा की स्थापना वर्ष 1937
में धवन परिवार द्वारा की गयी थी। तभी से यह किडनी के रोगियों को केवल आयुर्वेद की
मदद से रोगमुक्त कर रहा है। इस समय कर्मा आयुर्वेदा की बागड़ोर डॉ. पुनीत धवन संभाल
रहे है। यह धवन परिवार की पांचवी पीढ़ी है जो कर्मा आयुर्वेद का नेतृत्व कर रही है।
डॉ. पुनीत धवन ने ना केवल
भारत बल्कि विश्व भर में किडनी फेल्योर के रोगियों का आयुर्वेदिक तरीके से उपचार
उन्हें इस जानलेवा बीमारी से निदान दिलाया है । डॉ. पुनीत धवन एक जाने माने
आयुर्वेदिक चिकित्सक है। इन्होने अब तक 35 हज़ार से भी ज्यादा लोगो की ख़राब किडनी
को ठीक किया है। आपको बता दें की कर्मा आयुर्वेद में बिना डायलिसिस और किडनी
प्रत्यारोपण के बिना ही रोगी की किडनी ठीक की जाती है।
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