किडनी डिजीज होने की बुरी आदतें


Image result for kidney disease
किडनी डिजीज से पुरूष ही नहीं बल्कि महिलाएं भी अधिक परेशान है। ये बीमारी दुनियाभर में सबसे बड़ी समस्या बनती जा रही है। किडनी डिजीज का समय पर इलाज न होने पर व्यक्ति की जान भी जा सकती है। इस बीमारी से दुनियाभरी में 19.5 करोड़ महिलाएं इस बीमारी से ग्रस्त है और तकरीबन हर साल इस बीमारी से छह लाख महिलाओं की मौत हो रही है। क्रोनिक किडनी डिजीज होने के कई कारण है, जिसमें सबसे मुख्य है डायबिटीज और मोटापा। साथ ही हाई ब्लड प्रेशर, किडनी से जुड़ा पारिवारिक इतिहास, स्टोन और अधिक एंटीबायोटिक लेना दवाईयों की जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल शामिल है।  

किडनी डिजीजी होने की बुरी आदतें -

किडनी शरीर में अधिक पानी, नमक और क्षार को मूत्र द्वारा दूर करके शरीर में इन पदार्थों का संतुलन बनाने का महत्वपूर्ण कार्य करती है। किडनी फेल्योर के मरीजों में पानी, नमक, पोटेशियम युक्त आहार और खाद्य पदार्थ आदि अधिक मात्रा में लेने पर भी कई बार गंभीर समस्या उत्पन्न हो सकती है। किडनी फेल्योर के केस में किडनी सही से काम नहीं कर पाती, जिससे किडनी पर काफी बोझ पड़ता है। शरीर में पानी, नमक और क्षारयुक्त पदार्थ की उचित मात्रा बनाए रखने के लिए आहार में जरूरी परिवर्तन करना आवश्यक है। किडनी फेल्योर के सफल उपचार में आहार के महत्व को ध्यान में रखना चाहिए – 

·         पर्याप्त मात्रा पानी न पीना - किडनी का सबसे जरूरी काम रक्त को फिल्टर करके उसमें से वेस्ट मैटेरियल और टॉक्सिन को मूत्र के द्वारा बाहर निकालना है। इसलिए जब हम पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं पीते हैं तो वेस्ट मटेरियल और टॉक्सिन्स का शरीर में जमाव को बढ़ता जाता है।
·         आहार में अधिक नमक खाना - शरीर को काम करते रहने के लिए सोडियम या नमक की जरूरत होती है। बहुत से लोग भोजन में नमक अधिक मात्रा में लेते हैं या दिनभर स्नैक्स खाते रहते है। इससे रक्तचाप बढ़ सकता है और किडनी पर दबाव पड़ने से वह अपने कामों को ठीक से नहीं कर पाती है।
·         अधिक शुगर लेना - एक रिसर्च के मुताबिक, दिन में 2 या 3 से अधिक मीठे ड्रिंक्स लेने से मूत्र में प्रोटीन जाने की संभावना अधिक बढ़ जाती है। मूत्र में प्रोटीन जाना किडनी की सेहत के लिए बुरा संकेत है, इसलिए नमक की तरह ही चीनी को भी संतुलित मात्रा में लेना चाहिए।
·         पेशाब को ज्यादा देर तक रोकना - बहुत से लोग कई बार अपने कामकाज में अटके रहने की वजह से मूत्र रोकने लगते हैं। ऐसे में बार-बार मूत्र रोकने से यूरिनरी सिस्टम (Urinary system) में प्रेशर बढ़ने लगता है। इससे किडनी स्टोन से लेकर किडनी फेल होने तक का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए मूत्र को रोकने की कोशिश न करें।
·         विटामिन और मिनरल्स की कमी होना - शरीर और किडनी को स्वस्थ रखने के लिए साफ और संतुलित भोजन लेना चाहिए, जिसमें ताजी सब्जियों और फलों का जरूर सेवन करें। न्यूट्रीशन की कमियों की वजह से किडनी में स्टोन बन सकती है या उनकी किडनी में खराबी आने लगती है। इसलिए विटामिन बी6 और मैग्नीशियम तत्व किडनी में स्टोन के खतरे को कम करने के लिए बेहद मददगार साबित हुआ है।
·         अधिक एनिमल प्रोटीन लेना - लाल मीठ में अधिक प्रोटीन होता है इसका अधिक सेवन किडनियों पर मेटाबोलिक प्रेशर बनने लगता है। भोजन में जरूरत से ज्यादा प्रोटीन लेने से किडनी को अधिक काम करना पड़ता है और इससे उनके काम करने की क्षमता खराब हो सकती है या उन्हें नुकसान भी पंहुच सकता है।
·         नींद पूरी न होना - रात में एक अच्छी नींद लेना बेहद जरूरी है। लंबे समय से कम सोने की आदत कई प्रकार के रोगों को जन्म देती है और इस लिस्ट में किडनी से जुड़े रोग भी होते हैं। रात को नींद के समय हमारा शरीर किडनी के टिशूज़ में आई गड़बड़ियों को रिपेयर करता है। अपनी नींद को नजरअंदाज न करें और किडनियों को सेल्फ-रिपेयर करने का मौका दीजिए। ऐसा भरपूर नींद लेने से सभव हो पाएगा।
·         अधिक कॉफी पीना - कॉफी में अधिक कैफीन होता है। इसे लेने से ब्लड प्रेशर को बढ़ा सकता है और इससे किडनी पर प्रेशर पड़ता है। कॉफी का हद से ज्यादा सेवन करना किडनी को नुकसान पहुंचा सकता है।
·         पेनकिलर्स ज्यादा लेना - बहुत से लोग मामूली दर्द या तकलीफ में बार-बार पेनकिलर्स लेने लगते है, लेकिन प्राकृतिक उपायों से इस दर्द को कंट्रोल किया जा सकता है। पैरासिटामोल (Paracetamol) और डिक्लोफीनेक (Diclofenac) जैसे पेनकिलर्स को अपनी मनमर्जी से लेने से किडनी में खराबी आ सकती है।
·         अधिक शराबी पीना - आजकल शराब या बीयर पीना एक कल्चर बनता जा रहा है। लेकिन सभी को यह मालूम होना चाहिए कि शराब में केमिकल और टॉक्सिन होते हैं और इसे पीने से किडनी और लीवर दोनों को ही गंभीर नुकसान पहुंचता है।   
किडनी के टिशूज को हेल्दी बनाए रखने के लिए नेचुरल फूड जैसे सब्जियां और फल का सेवन करें। साथ ही ऊपर बताई गई कारणों को ध्यान में रखें और अपनी आदतों को कंट्रोल में करें। ऐसा करने से आप किडनी की बीमारी से मुक्त रहेंगे।   

किडनी डिजीज में अपनाएं आयुर्वेदिक उपचार – 

आयुर्वेदिक उपचार एक प्राचीन पद्धति है, जिसका शब्दिक अर्थ है जीवन का विज्ञान है। यह मनुष्य के समग्रतावादी ज्ञान पर अधारित है। यह पद्धति मानवीय शरीर के उपचार तक ही सीमित रखने की बजाय, शरीर, तन-मन और आत्मा के बीच संतुलन बनाकर स्वास्थ्य में सुधार करता है। इस पद्धति की एक और उल्लेखनीय विशिष्टिता है। यह औषधीय गुण रखने वाली वनस्पतियों व जड़ी-बूटियों के जरिए बीमारियों का इलाज करती है। आयुर्वेद में निदान व उपचार से पहले मनुष्य के व्यक्तित्व की श्रेणी पर अधिक ध्यान दिया जाता है। आयुर्वेद में मुताबित, मानव शरीर चार मूल तत्वों से निर्मित है - दोष, धातू, मल और अग्नि। आयुर्वेद में शरीर की इन बुनियादी बातों का अत्यधिक महत्व है। इन्हें मूल सिद्धांतया आयुर्वेदिक उपचार के बुनियादी सिद्धांत कहा जाता है।  

Post a Comment

0 Comments