किडनी हमारे शरीर का एक अभिन्न अंग है. किडनी के मानव शरीर काम नहीं कर सकता, क्योंकि यह हमें
स्वस्थ रखने के लिए कई कार्य करती है जो कोई दूसरा अंग नहीं कर सकता। हमारे शरीर
में दो किडनियां होती है, जोकि हमारी पसलियों के नीचे पीठ की तरफ होती है। किडनी
का आकर राजमा की तरह होता है, यह भले ही आकार में छोटी होती है लेकिन इसके बहुत से
काम है। किडनी हमारे शरीर में अपशिष्ट उत्पाद क्षार और अल्म जैसे जहरीले तत्वों को
बाहर निकालने का काम करती है। किडनी इसके अलावा रक्त शोधन का कार्य भी करती है
जिससे पुरे शरीर में शुद्ध रक्त प्रवाह होता रहता है, किडनी हड्डियों को मजबूत
करने का भी कार्य करती है। किडनी की विफलता एक गंभीर समस्या है। किडनी खराब हो
जाने के कारण इसके दुष्प्रभावों को ना केवल रोगी बल्कि उसके परिवार को भी सहन करना
पड़ता है। किडनी बीमारी बहुत सी नकारात्मक प्रभावों को अपने साथ साथ में लाती है।
आयुर्वेद द्वारा किडनी फेल्योर का उपचार :-
आयुर्वेद ना केवल
आयुर्वेद में औषधि और दर्शन शास्त्र दोनों को शामिल कर व्यक्ति को नव जीवन प्रदान
किया जाता है। “कर्मा आयुर्वेदा”
पारम्परिक आयुर्वेद की सहायता से किडनी फेल्योर
के तमाम रोगों का उपचार कर रोगी को नया स्वस्थ जीवन प्रदान करता है। एलोपैथी उपचार
की मदद से आप किसी भी रोग से जल्द से जल्द राहत पा सकते हो, लेकिन आप उस रोग से छुटकारा नही पा सकते. एलोपैथी द्वारा किया गया उपचार पानी
के बुलबुले की भांति क्षणभंगुर होती है। आयुर्वेदिक उपचार ही एकलौता ऐसा उपचार है
जिससे हर बीमारी को जड़ से खत्म किया जा सकता है। आयुर्वेद में हर बीमारी का सफल
उपचार मौजूद है। आयुर्वेद में हर रोग का 100% रामबाण इलाज मौजूद है।
किडनी फेल्योर जैसी गंभीर
समस्या के आयुर्वेदिक उपचार में कुछ निम्नलिखित औषधियों का इस्तेमाल किया जाता है –
•
कासनी
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चंद्रप्रभा वटी
•
गोरखमुंडी
•
शिरीष
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वरुण
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पुनर्नवा
•
अमरबेल
•
घतुरा
कर्मा आयुर्वेदा भारत का उत्तम किडनी आयुर्वेदिक उपचार
केंद्र :-
कर्मा आयुर्वेदा में केवल
आयुर्वेद द्वारा ही रोगी के रोग का निवारण किया जाता है। कर्मा आयुर्वेदा काफी
लंबे समय से किडनी की बीमारी से लोगो को मुक्त कर रहा है। कर्मा आयुर्वेदा सिर्फ
आयुर्वेदिक दवाओं से किडनी फेल्योर का सफल इलाज कर रहे है। किडनी की बीमारी से
जीने की आस छोड़ चुके रोगियों को कर्मा आयुर्वेदा ने नया जीवन प्रदान किया है,
उन सभी लोगो को जीने की नयी आस प्रदान की है जो
जीने की आस एक दम छोड़ चुके थे। क्योंकि वह किडनी फेल्योर जैसी खतरनाक बीमारी से
पीड़ित थे।
कर्मा आयुर्वेद में
प्राचीन भारतीय आयुर्वेद की मदद से किडनी फेल्योर का इलाज किया जाता है। कर्मा
आयुर्वेद की स्थापना 1937 में धवन परिवार द्वारा की गयी थी। वर्तमान में इसकी
बागडौर डॉ. पुनीत धवन संभाल रहे है। आपको बता दें कि कर्म आयुर्वेद में डायलिसिस
और किडनी ट्रांसप्लांट के बिना किडनी की इलाज किया जाता है। कर्मा आयुर्वेद पीड़ित
को बिना डायलिसिस और किडनी ट्रांस्पलेंट के ही पुनः स्वस्थ करता है। कर्मा
आयुर्वेद बीते कई वर्षो से इस क्षेत्र में किडनी पीड़ितों की मदद कर रहा है।
उत्तर प्रदेश के झाँसी
में किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक इलाज किया जा रहा है। आयुर्वेद में प्राकृतिक
जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता हैं। जिससे हमारे शरीर में कोई साइड इफेक्ट
नहीं होता हैं। डॉ. पुनीत धवन ने केवल भारत
में ही नहीं बल्कि विश्वभर में किडनी की बीमारी से ग्रस्त मरीजों का इलाज आयुर्वेद
द्वारा किया है। साथ ही डॉ. पुनीत धवन ने 35 हजार से भी ज्यादा किडनी मरीजों को
रोग से मुक्त किया हैं। वो भी डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना।
किडनी की बीमारी :-
क्रोनिक किडनी डिजीज CKD –
क्रोनिक किडनी डिजीज (क्रोनिक किडनी फेल्योर)
किडनी की सबसे गंभीर समस्या है। इस समस्या में रोगी की किडनी बहुत धीमे-धीमे ख़राब
होती है। जिसमे महीनों से लेकर सालों तक का समय लग सकता है, इसी कारण सीकेडी को
पकड़ पाना बहुत मुश्किल होता है। सीकेडी में सीरम क्रीएटिनिन बहुत धीरे बढ़ता है और किडनी खराब हो जाती
है। इस बीमारी में दोनों किडनियां खराब हो सकती है। सीकेडी की गंभीरता के आधार पर
इसे पाँच चरणों में विभाजित किया गया है। eGFR नामक परिक्षण की सहयता से सीकेडी
स्तर की जांच की जाती है।
एक्यूट किडनी
डिजीज AKD –
अगर किडनी अचानक काम करना
बंद कर दें या किडनी की कार्यक्षमता में अचानक आई कमी को एक्यूट किडनी डिजीज यानि
एकेडी कहते है। एकेडी से पीड़ित रोगियों की पेशाब की मात्रा में काफी कमी आ जाती
है। एक्यूट किडनी डिजीज होने के मुख्य कारण सेपसिस का होना होता है। दवाओं का अधिक
मात्रा में सेवन जैसे दर्द निवारक दवाएं, खून के दबाव में अचानक कमी आना, मलेरिया
और खराब पाचन तंत्र होता है। एक्यूट किडनी डिजीज से उचित उपचार के माध्यम से निदान
पाया जा सकता है।
नेफ्रोटिक
सिन्ड्रोम डिजीज NSD–
एनएसडी यानि नेफ्रोटिक
सिन्ड्रोम डिजीज एक प्रकार का किडनी रोग होता है। बड़ों की तुलना में यह बच्चों में
अधिक पाया जाता है। इस बीमारी में शरीर के कई हिस्सों में बार बार सूजन देखि जाती
है। सूजन आने-जाने का यह चक्र सालों तक चल
सकता है। इसके अलावा नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम डिजीज होने पर पेशाब में प्रोटीन की
वृधि, रक्त में प्रोटीन की कमी और कोलेस्ट्रोल का बढ़ना होता है। शरीर में बार बार
दिखाई देने वाले इन लक्षणों को दवाओं के साथ दूर किया जा सकता है। लेकिन बार बार
इन रोगों का होना नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम डिजीज की पहचान है।
पोलिसिस्टिक
किडनी डिजीज PKD –
वंशानुगत किडनी रोग में
सबसे अधिक पोलिसिस्टिक किडनी डिजीज पाई जाती है, जिसे पीकेडी भी कहा जाता है। पोलिसिस्टिक
किडनी डिजीज एक जानलेवा बीमारी है। इस रोग में किडनी के ऊपर असंख्य पानी के
बुलबुले बन जाते है। इन पानी के बुलबुलों को वैज्ञानिक भाषा में सिस्ट कहा जाता है.
पोलिसिस्टिक किडनी डिजीज एक प्रकार का ऑटोजोमल डोमिनेन्ट वंशानुगत रोग है, यह
अधिकतर वयस्कों में पाया जाता है। इस रोग में मरीज के बाद उसकी संतान को किडनी रोग
होने की 50% तक की आशंका रहती है। पीकेडी के मरीज के भाई – बहन और उसकी संतानों की
अपनी जांच जरुर करवानी चाहिए। ताकि समय रहते इस बीमारी से छुटकारा पाया जा सके।
किडनी खराब होने के कारण :-
आप सभी किडनी की महत्ता
से वाकिफ़ है। लेकिन कुछ कारणों के चलते किडनी खराब हो जाती है. किडनी खराब होने के
पीछे निम्नलिखित कारण है. आप अपनी इन आदतों को बदल कर अपनी किडनी खराब होने से बचा
सकते है -
•
नमक की अधिक
मात्रा लेना
•
अनियमित जीवन शैली
•
मूत्र संक्रमण
•
अनिद्रा
•
उच्च रक्तचाप
•
शराब का सेवन
•
दर्द निवारक
दवाओं का सेवन
•
मांसाहार
•
कम पानी पीना
•
मधुमेह
•
पेशाब रोकना
किडनी खराब होने के लक्षण :-
हमारी किडनी धीरे-धीरे और
एक लंबे समय के बाद खराब होती है। इस बारे में जब तक पता चलता उस समय तक काफी देर
हो चुकी होती है। जब हमें अपनी खरब किडनी की खबर मिलती है उस समय हमारी किडनी
60-65% तक खराब हो चुकी होती है। किडनी खराब होने की स्थिति में हमें इसके कई
लक्षण दिखाई देते है। जिसकी पहचान कर हम इस जानलेवा बीमारी से मुक्ति पा सकते है।
लेकिन जागरूकता कम होने के कारण हमें इस बारे में पता ही नहीं चल पता। किडनी खराब
होने के समय हमारे शरीर में निम्न लिखित बदलाव या लक्षण दिखाई देते है -
•
सांस लेने में
तकलीफ
•
बार-बार उल्टी
आना
•
पेशाब करने में
दिक्कत होना
•
शरीर के कुछ
हिस्सों में सूजन
•
आंखों के नीचे
सूजन
•
कंपकंपी के साथ
बुखार होना
•
पेट में दर्द
•
पेशाब में रक्त
और प्रोटीन का आना
•
बेहोश हो जाना
•
पेशाब में
प्रोटीन आना
•
गंधदार पेशाब आना
•
पेशाब में खून
आना
•
अचानक कमजोरी आना
•
पेट में दाई या
बाई ओर असहनीय दर्द होना
•
नींद आना
•
कमर दर्द होना
उपरोक्त लिखे लक्षणों की
पहचान कर हम किडनी फेल्योर जैसी जानलेवा बीमारी से छुटकारा पा सकते है। लेकिन जब
हमें इस बारे में ज्ञात होता है की हमारी किडनी खराब हो चुकी है, उस समय हमारा सबसे पहला ध्यान डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट की तरफ जाता है।
जिसके साथ ध्यान आता है खर्च का। किडनी फेल्योर का उपचार बहुत महंगा और लम्बा होता
है। जिसका खर्च उठाना बहुत ही कठिन होता है। परिवार पर इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ता
है। परिवार पर मानसिक और आर्थिक दोनों प्रभाव पड़ते है, साथ ही हर तरफ नकारात्मकता का माहौल भी बन जाता है। बावजूद इसके रोगी को अपनी
इस बीमारी से छुटकारा नहीं मिलता।
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