किडनी रोगी किन-किन सब्जियों का सेवन कर सकते हैं?


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किडनी रक्त को शुद्ध कर हमारे शरीर से अपशिष्ट उत्पादों, अतिरिक्त क्षार और अम्ल को बहार निकालने का विशेष कार्य करती है। लेकिन खराब होने पर किडनी अपना यह कार्य करने में असमर्थ हो जाती है। ऐसे में इस गंभीर बीमारी की इसकी चपेट में आने के बाद इससे छुटकारा पाना बहुत मुश्किल होता है। आयुर्वेदिक औषधियों की मदद से इस जानलेवा बीमारी से आसानी से बच सकते हैं। औषधियों के साथ अगर आप उचित आहार लें रहे हैं तो आपको किसी भी प्रकार के रोग से जल्द छुटकारा मिलता है। अगर आप किडनी रोगी हैं तो आपको अपने आहार में निम्नलिखित सब्जियों को शामिल करना चाहिए, यह सब्जियां किडनी को स्वस्थ रखने में मदद करती हैं।
ऐस्पैरागस :-
ऐस्पैरागस में बहुत से औषधीय गुण मिलते है जो रोगों में हमारी रक्षा करने में मदद करते है। ऐस्पैरागस में खनिज के साथ विटामिन भी काफी अच्छी मात्रा में मिलते है। इसमें आपको आयरन, प्रोटीन, कैल्शियम, जिंक, फोलेट और फाइबर मिलता है। इसके साथ इसमें विटमिन ए, विटमिन के, विटमिन इ, विटमिन सी, और विटमिन बी 6 काफी अच्छी मात्रा में मिलते हैं। भारत में इसे सिर्फ दवा के रूप में ही इस्तेमाल किया जाता है। बाज़ार में आपको इसका चूर्ण बड़ी आसानी मिल जाता है। हिंदी में शतावरी के नाम से जाना जाता है। यह किडनी के लिए निम्नलिखित प्रकार से लाभकारी है:-
मूत्र विकार दूर करे
अगर आप किसी भी प्रकार के मूत्र विकार से जूझ रहे है तो आपको ऐस्पैरागस का सेवन करना चाहिए। विशेषकर मूत्र पथ पर संक्रमण के दौरान। दरअसल इसमें एमिनो एसिड मिलता है जो मूत्र पथ को साफ़ करने सहायक होता है। साथ ही यह प्राकृतिक मुत्रवर्धक औषधि भी है। इसकी मदद से आप मूत्र संक्रमण के कारणों से बचे रहते है।
मधुमेह कम करे
शतावरी के सेवन से आप अपने बढ़े हुए रक्त शर्करा को कम कर सकते हो। यह टाइप 2 मधुमेह रोगियों के लिए काफी लाभदायक है। इसमें मधुमेह प्रतिरोधक क्षमता रखने वाले पोषक तत्व मिलते है। इसमें फाइबर मिलता है जो शर्करा को कम करने में सहायक है। इसे साथ इसमें क्रोमियम नामक खनिज मिलता है जो इन्सुलिन बढ़ाने में मदद करता है। इन्सुलिन रक्त में चीनी की मात्रा को कम करता है।
उच्च रक्तचाप
अगर आप उच्च रक्तचाप की समस्या से जूझ रहे है तो आपको ऐस्पैरागस का सेवन करना चाहिए। यह रक्त वाहिकाओं में रक्त संचार को सुचारू रूप से प्रवाह होने में मदद करती है। आप ऐस्पैरागस या शतावरी के चूर्ण या कैप्सूल का इस्तेमाल चिकित्सक की सलाह से कर सकते हो।
ऐस्पैरागस पथरी में
ऐस्पैरागस एक प्राकृतिक मूत्रवर्धक है। यह आपको गुर्दे की पथरी होने की आशंका से दूर रखता है। यह पेशाब के जरीय आपके शरीर से अतिरिक्त नमक और हानिकारक उत्पादों को बहार निकाल देता है। साथ ही अगर आप गुर्दे की पथरी के मरीज है तो आप इसका सेवन करे। ऐसा करने से पेहब के साथ आपकी पथरी बहार आ जायगी। 
अनिद्रा
पूरी नींद ना आने से आप कई प्रकार के रोगों से घिर जाते हो। इससे आपकी किडनी ख़राब होने तक का खतरा भी रहता है। किडनी को स्वस्थ और अच्छी नींद के लिए आप शतावरी के चूर्ण का सेवन करे। इसके लिए आप ऐस्पैरागस यानि शतावरी के चूर्ण को 10 से 15 ग्राम की मात्रा में रत को स्तोते समय घी या दुग्ध में डाल कर सेवन करे। आपको अच्छी निंद आने लगेगी।
ऐस्पैरागस से होने वाले नुकसान :-
ऐस्पैरागस या शतावरी एक उत्तम श्रेणी की आयुर्वेदिक औषधि है वर्तमान समय तक इसके सेवन से किसी प्रकार की कोई हनी नहीं देखती गयी। आप निश्चित रूप से इसका सेवन कर सकते है। हाँ अगर आप इसके चूर्ण का सेवन करते है तो चिकित्सक की सलाह जरुर लें।
तुरई :-
तुरई खाने में स्वादिष्ट होती है साथ ही कई पोष्टिक तत्वों से भरपूर होती है, इसमें विटामिन सी, विटामिन ए, प्रोटीन, उच्च मात्रा में फाइबर, कार्बोहाइड्रेट, पोटाशियम, फोलेट के साथ-साथ और भी कई पोषक तत्व मिलते हैं। यह सभी पोषक तत्व हमे कई जानलेवा रोगों से दूर रखते हैं, यह कई प्रकार से किडनी को स्वस्थ रखने में मदद करती है
मूत्र विकार दूर करें
पेशाब करने के दौरान अगर आपको जलन होती है तो आपको तुरई के सूप का सेवन करना चाहिए। तुरई का सूप पेशाब की जलन के साथ-साथ मूत्र पथ को साफ करने में भी सहायक होता है। किडनी खराब होने पर रोगी को पेशाब से जुड़ी समस्याएं हो सकती है।
मधुमेह को नियंत्रित करें  
तुरई टाइप 2 मधुमेह रोगियों के लिए बहुत ही फायदेमंद आहार है। दरअसल, तुरई में अघुलनशील फाइबर होता है, जो मधुमेह जैसे रोग के खतरे को कम करने में मदद करता है। इसके अलावा उच्च फाइबर लेने से चायापचय सिंड्रोम से जुड़ा हुआ खतरा भी कम होता है, यह मधुमेह को बढ़ावा देने वाले तत्वों में से एक है। मधुमेह किडनी खराब होने के मुख्य कारणों में से एक हैं।
उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करें 
उच्च रक्तचाप किडनी खराब होने का कारण हैं। अगर आप उच्च रक्तचाप की समस्या से जूझ रहे हैं तो आपको अपने आहार में तुरई को जरुर शामिल करना चाहिए। तुरई में पोटेशियम होता हैं जो रक्त वाहिकाओं को शांत करने और उनके व्यास को बढाने में मदद करता है। पोटाशियम सोडियम को कम करने में काफी प्रभावशाली है। सोडियम रक्तचाप उच्च होने का सबसे बड़ा कारक होता है। ध्यान दें, पोटेशियम का अधिक सेवन करने से किडनी खराब होने का खतरा रहता है।
टिंडा :-
टिंडे में विटामिन ए, विटामिन सी, थियामिन, नियासिन, आयरन, फाइबर, रिबोफल्विन जैसे खनिज प्रचुर मात्रा में मिलते हैं। टिंडा पानी से भरा हुआ होता है इसके अंदर 92 प्रतिशत तक पानी पाया जाता है, जो गर्मियों में हमारे शरीर में पानी की कमी पूरी करता है। टिंडा किडनी रोगी के लिए बहुत फायदेमंद सब्जी है। टिंडा निम्नलिखित प्रकार से किडनी फेल्योर रोगी के लिए लाभकारी हैं
किडनी को रखे स्वस्थ
नियमित रूप से टिंडा खाने से आपकी किडनी स्वस्थ और मजबूत बनी रहती है। टिंडा शरीर में मौजूद अपशिष्ट उत्पादों को शरीर से बहार निकालने में मदद करता है। टिंडा में पानी की मात्रा सबसे अधिक होती है, जो मूत्र वर्धक के रूप में काम करता है जिससे किडनी की सफाई होती। बता दें, किडनी शरीर से अपशिष्ट उत्पादों को पेशाब के साथ शरीर बाहर निकालने का काम करती है।
उच्च रक्तचाप
उच्च रक्तचाप की समस्या से जूझने वाले व्यक्तियों को टिंडे के जूस का सेवन करने चाहिए। टिंडे के अंदर पोटेशियम होता है जो शरीर में मौजूद अतिरिक्त सोडियम को बाहर निकलने में मदद करता है। साथ ही रक्त वाहियों और धमनियों को शांत करता है, जिससे रक्त प्रवाह बिना किसी रुकावट के सुचारू रूप से चलता रहता है। शरीर में सोडियम की अधिक मात्रा के कारण से रक्तचाप उच्च होने की शिकायत होती है।
मूत्र संक्रमण करें दूर
टिंडे के अंदर पानी प्रचुर मात्रा में होता है, अधिक होने के कारण यह शरीर में पानी की कमी नहीं होने देता जिससे किडनी और मूत्र पथ की सफाई होती रहती है। किडनी और मूत्र पथ साफ होने के कारण मूत्र प्रवाह में कोई बाधा उत्पन्न नहीं होती, जिससे संक्रमण का खतरा नहीं बनता और पहले से मौजूद संक्रमण भी दूर होता है। टिंडा किडनी और मूत्र पथ में मौजूद विषाक्त उत्पादों को बाहर निकाल देता है।
मधुमेह को करें कम
अगर आप किडनी फेल्योर के साथ मधुमेह के रोगी हैं तो आपको टिंडे की सब्जी का सेवन जरुर करना चाहिए। इसके अंदर घुलनशील फाइबर काफी मात्रा में मिलता है, जो रक्त शर्करा को कम करने में मदद करता है। साथ ही शरीर में इन्सुलिन की मात्रा को बढ़ाने में मदद करता है, बढ़ा हुआ इन्सुलिन तेज़ी से मधुमेह को कम करता है। टिंडे के छिलकों में फोटोकेमिकल मिलता है, जो रक्त शर्करा को कम करने में सहायक होता है। टिंडा मेटाबोलिज्म सुधार में भी सहायक होता है।
सूजन करें दूर
टिंडा सूजन कम करने वाली सब्जी है। साथ ही यह दर्द निवारक औषधि के तरह भी कार्य करता है। सूजन कम करने के लिए आप इसका पेस्ट बना कर इसे सूजन वाली जगह पर लगा ले। इससे आपकी सूजन तो कम होगी ही साथ ही आपको दर्द से भी राहत मिलेगा। किडनी खराब हो जाने पर शरीर के कुछ हिस्सों में सूजन आ जाती है।

किडनी रोगी अपने आहार में कोई भी खाद्य प्रदार्थ शामिल करने से पहले अपने चिकित्सक और आहार विशेषज्ञ से इस बारे में पूरी जानकारी जरूर लें

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