करेले खाने के नुकसान


कड़वा करेला खाने में बहुत ही कम लोगो को पसंद होता है। संजीवनी के सामान करेला हमें बहुत से रोगों से बचाने में मदद करता है। करेले का उपयोग सबसे ज्यादा मधुमेह को दूर करने के लिए किया जाता है। जो काफी असरदार भी है। इसके अलावा करेले का प्रयोग वजन कम करने, अच्छी आँखों के लिए भी खाने में इस्तेमाल किया जाता है। कारण इसके पोषक तत्व। करेले में बहुत से प[ओश्क तत्व पाय जाते है जो हमारे स्वस्थ के लिए काफी उपयोगी होते है। लेकिन करेला खाने से बहुत से नकारात्मक प्रभाव भी देखे जाते है।
करेले के नकारात्मक प्रभाव :-
करेला खाने के दौरान हमें कुछ सावधानियों का जरुर ध्यान रखना चाहिए। क्योंकि करेला हमें स्वस्थ करने के साथ साथ बीमार भी कर सकता है। जिससे हमारी किडनी पर बुरा असर पड़ सकता है। ऐसा सिर्फ कुछ खास परिस्थियों में होता है जो निम्नलिखित है –
लीवर समस्या में –
अगर आपको लीवर से जुडी कोई है तो आपको करेले का सेवन बिलकुल नहीं करना चाहिए। क्योंकि इसके सेवन से पेट में एंजाइम्स बढ़ जाते है। जिससे पेट में संक्रमण हो जाता है। इसके अवाला अगर आपको पाचन से जुडी कोई समस्या है उस दौरान भी करेले का सेवन ना करे। करेला तासीर में गर्म होता है जो पाचन को और ख़राब कर सकता है। जिसका सीधा असर किडनी पर पड़ता है।
लो शुगर के दौरान 
अगर आपका शुगर लो है तो आपको करेले के सेवन से बचना चाहिए। क्योंकि करेला शुगर को कम करने के काम आता है। अगर आप लो शुगर में करेले का सेवन करते है तो आप अचानक बेहोश होने के साथ साथ किडनी पर बुरा असर भी पड़ सकता है। इसके अलावा आपके शरीर में कमजोरी और यादाश पर भी असर पड़ता है।
पाईल्स की समस्या में –
जिन लोगो को पाईल्स की समस्या है उन लोगो को भी करेले का सेवन नही करना चाहिए। क्योंकि यह तासीर में गर्म होता है।
हाल में हुई सर्जरी के दौरान –
अगर आपकी हाल ही में सर्जरी हुई है तो आपको करेले का सेवन नहीं करना चाहिए। इससे रक्त शर्करा पर बुरा असर पड़ सकता है। जिससे घाव भरने में समय लग सकता है। साथ ही सर्जरी की जगह से रक्त प्रवाह बढ़ सकता है।
पीरियड्स की समस्या में –
अगर आपके पीरियड्स चल रहे है तो आपको करेले का सेवन नहीं करना चाहिए। इससे पीरियड्स लम्बे समय तक चल सकता है और बिलिडिंग भी बढ़ सकती है। जिन लड़कियों को पीरियड्स से जुडी कोई समस्या है तो उन्हें भी करेले का सेवन नहीं करना चाहिए।
गर्भवती महिलाऐं ना खाएं –
गर्भवती महिलों को करेले का सेवन नही करना चाहिए। क्योंकि इसमें मोमोकैरिन पाया जाता है जो प्रेगनेंसी में नुकसान दे सकता है। अगर महिला इसका अधिक सेवन करती है तो गर्भपात का भी खतरा रहता है। 
कर्मा आयुर्वेद द्वारा किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार :-
हमारी किडनी धीरे-धीरे और एक लंबे समय के बाद ख़राब होती है। इस बारे में जब तक पता चलता उस समय तक काफी देर हो चुकी होती है। जब हमें अपनी खरब किडनी की खबर मिलती है उस समय हमारी किडनी 60-65% तक ख़राब हो चुकी होती है।  आप आयुर्वेद की सहायता से "किडनी फेल्योर" जैसी बीमारी से मुक्ति पा सकते है। "कर्मा आयुर्वेदा" से संपर्क साध आप प्राचीन भारतीय आयुर्वेदिक पद्धत्ति से किडनी फेल्योर से निजात पा सकते है।
कर्मा आयुर्वेद मरीजों का इलाज पूर्णतः आयुर्वेद के आधार पर ही करता है। कर्मा आयुर्वेदा की स्थापना वर्ष 1937 में धवन परिवार द्वारा की गयी थी। वर्तमान समय में डॉ. पुनीत धवन कर्मा आयुर्वेद को संभाल रहे है। डॉ. पुनीत धवन ने  केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्वभर में किडनी की बीमारी से ग्रस्त मरीजों का इलाज आयुर्वेद द्वारा किया है। आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता हैं। जिससे हमारे शरीर में कोई साइड इफेक्ट नहीं होता हैं। साथ ही आपको बता दें की  डॉ. पुनीत धवन ने 35 हजार से भी ज्यादा किडनी मरीजों को रोग से मुक्त किया हैं।


ayurvedic medicine for kidney creatinine

Post a Comment

0 Comments