सटीक और आम भाषा में कहा जाए तो क्रिएटिनिन एक प्रकार का खराब उत्पाद है, जिसे किडनी खून साफ करते समय पेशाब के साथ शरीर से बाहर निकाल देती है। शरीर में क्रिएटिन (creatine), नाम का एक मेटाबोलिक तत्व पाया जाता है, जो कि एक खास सब्सटेन्स होता है। यह मेटाबोलिक तत्व खाए गये आहार को उर्जा में बदलते हुए टूट जाता है। इसी टूटे हुए क्रिएटिनि को ही क्रिएटिनिन कहा जाता है।
क्रिएटिनिन की मात्रा शरीर में ज्यादा हो जाने पर या किडनी खराब हो जाने पर किडनी इसे शरीर से बाहर नहीं निकाल पाती। क्रिएटिनिन का स्तर बढ़ने पर व्यक्ति को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। बढ़ता हुआ क्रिएटिनिन खराब किडनी और अन्य समस्याओं की ओर इशारा करता है, इसके बढ़ने से शरीर में पानी कमी होने लगती है जिससे त्वचा रूखी और सुस्ख हो जाती है। वयस्क पुरुषों के ब्लड में क्रिएटिनिन का सामान्य स्तर लगभग 0.6 से 1.2 मिलीग्राम प्रति लीटर प्रति दशमांश (डीएल) होता है जबकि वयस्क महिला में यह स्तर प्रति लीटर प्रति दशमांश 0.5 से 1.1 मिलीग्राम होता है।
बढ़ते क्रिएटिनिन को इस प्रकार करे काबू :-
जब किसी व्यक्ति के शरीर में क्रिएटिनिन की मात्रा अधिक हो जाती है तो उसे कुछ पेय उत्पादों की मदद से इसे काबू में किया जा सकता है। लेकिन इनका सेवन करने से पहले एक बार चिकित्सक से सलाह जरूर लें। इस दौरान किडनी रोगी निम्न वर्णित पेय उत्पादों का सेवन कर सकते हैं :-
सेब का जूस
सेब गुणों की खान है, यह कई रोगों से राहत दिलाने में मदद करता है। सेब के जूस में उच्च मात्रा में फाइबर और एंटीओक्सिडेंट तत्व मिलते हैं। इसके अलावा 100 ग्राम सेब में 1 मिली ग्राम सोडियम, 107 मिली ग्राम पोटेशियम और 10 मिली ग्राम फोस्फोरस होता है जोकि किडनी रोगी के लिए काफी है। सेब का जूस किडनी की सफाई के अलावा कोलेस्ट्रॉल को भी कम करने में मदद करता है। कोलेस्ट्रोल कम होने से दिल जुड़ी बीमारियाँ होने का खतरा तो कम होता ही है साथ उच्च रक्तचाप की समस्या में भी राहत मिलती है। सेब का जूस रक्त में शर्करा के स्तर को कम करने में मदद करता है, जिससे मधुमेह काबू में आता है और किडनी पर दबाव नहीं पड़ता। सेब के इन्हीं सभी कार्यों से क्रिएटिनिन का स्तर कम होने लगता है और रोगी स्वस्थ हो जाता है।
कैनबेरी का जूस -
किडनी रोगी क्रिएटिनिन का स्तर कम करने के लिए कैनबेरी का जूस अपने आहार में शामिल कर सकते हैं। कैनबेरी का जूस मूत्र पथ संक्रमण और किडनी की बीमारी को दूर करने में मदद करता है। कैनबेरी के जूस में ए-टाइप प्रोएंथोसाइनिडिन्स (A-type proanthocyanidins) तत्व मिलते हैं, यह तत्व मूत्र पथ संक्रमण के प्रभाव को कम उससे होने वाली परेशानियों से आराम दिलाता है। किडनी खराब होने पर पेशाब से जुड़ी समस्याएं हो जाती है, जिससे शरीर में क्रिएटिनिन का स्तर बढ़ जाता है। कैनबेरी का जूस काफी हद्द तक क्रिएटिनिन का स्तर कम करने में मदद करता है।
बुल्बेरी का जूस
क्रिएटिनिन के बढ़ते स्तर को काबू में लाने के लिए आप ब्लूबेरी के जूस का भी सेवन कर सकते हैं। यह फल पोषक तत्वों के साथ-साथ कई एंटीओक्सिडेंट तत्वों से भरपूर होता है। ब्लूबेरी के अंदर एंथोसायनिन (anthocyanin) तत्व मिलता है, यह एक किस्म का एंटीओक्सिडेंट तत्व है जो सबसे ज्यादा ब्लूबेरी में ही पाया जाता है। यह जूस किडनी रोगी के लिए काफी फायदेमंद होता है, क्योंकि इसमें सोडियम, पोटेशियम, प्रोटीन और फोस्फोरस काफी कम मात्रा में मिलते हैं। इसके सेवन से ना केवल क्रिएटिनिन का स्तर कम होता है बल्कि दिल से जुड़ी बीमारियों, कैंसर, मधुमेह और उच्च रक्तचाप में भी राहत दिलाता है। किडनी रोगी चिकित्सक की सलाह से इसका सेवन कर सकते हैं।
लाल अंगूर का जूस
लाल अंगूर का जूस ना केवल पीने में स्वादिष्ट होता है बल्कि यह हमारी किडनी रोगी के लिए काफी फायदेमंद होता है। लाल अंगूर के पोष्टिक तत्वों की बात करे तो आपको बता दें इसमें काफी मात्रा में विटामिन c और उच्च मात्रा में फ़्लवोनोइडस (flavonoids) तत्व मिलते है। फ़्लवोनोइडस एक खास तरह का एंटीओक्सिडेंट है जो रक्त को जमने से रोकता है। रक्त जमने के कारण किडनी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है जिसके कारण क्रिएटिनिन का स्तर बढ़ने लगता है। इसके अलावा लाल अंगूर के जूस में भी रेवेर्सटोल नाम का भी एंटीओक्सिडेंट मिलता है, यह रक्त प्रवाह को सुचारू बनाने में मदद करता है। रक्त प्रवाह सुचारू होने और रक्त में थक्का ना बनने से किडनी पर दबाव नहीं पड़ता जिससे चलते क्रिएटिनिन का स्तर अपने आप काबू में आने लगता है।