वर्तमान समय में खराब
दिनचर्या के कारण लोगो को उच्च रक्तचाप की समस्या होना आम बात होती जा रही है।
उच्च रक्तचाप की समस्या कोई आम बात नहीं है, इसके कारण आपकी किडनी भी खराब हो सकती
है।उच्च रक्तचाप एक गंभीर समस्या है, इस समस्या को हाइपरटेंशन या हाई ब्लड प्रेशर
के नाम से भी जाना जाता है। हमारा दिल धड़कते समय धमनियों के जरिए पूरे शरीर में
रक्त संचार करता है, उस दौरान रक्त जिस दबाव के साथ रक्त वाहिकाओं (Vessels) की दीवारों से टकराता है, उस दबाव को रक्तचाप
या हाइपरटेंशन कहा जाता है।
जब हमारा दिल रक्त रक्त
प्रवाह करने के लिए सिकुड़ता है, उस समय रक्त प्रवाह का दबाव सबसे ज्यादा होता है,
इस दबाव के माप को प्रंकूचक (सिस्टोलिक) दबाव कहा जाता है। जब दिल रक्त प्रवाह
करने के बाद आराम की स्थिति में आता है, उस समय रक्त का दबाव बहुत कम होता है, इस
रक्त दबाव माप को प्रसारक (डायस्टोलिक) दबाव कहा जाता है। वयस्कों के लिए सामान्य
रक्तचाप 120/80 mmHg माना जाता है। आम तौर पर 140/90 mmHg से अधिक रक्तचाप को वयस्कों के लिए उच्च माना
जाता है और 90/60 mmHg को कम।
किडनी रोगी इस प्रकार करें, उच्च रक्तचाप को नियंत्रित :-
किडनी रोगी को हमेशा अपने
रक्तचाप को काबू में रखना चाहिए, क्योंकि रक्तचाप बढ़ने के कारण रोगी को गंभीर
परिणामों का सामना करना पड़ सकता हैं। उच्च रक्तचाप को काबू में करने के लिए किडनी
रोगी इन घरेलु उपायों को अपना सकते हैं। हाँ, निम्नलिखित उपायों को अपनाने से पहले
आप चिकित्सक की सलाह जरूर लें।
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नमक उच्च रक्तचाप
बढाने वाला प्रमुख कारण होता है। इसलिए आपको नामक का सेवन बहुत कम करना चाहिए, आप
सेंधा नमक का सेवन कर सकते हैं।
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रक्तचाप को काबू
में करने के लिए आप आधा गिलास हल्का गर्म पानी में एक चम्मच काली मिर्च पाउडर एक
चम्मच घोलकर 2-2 घंटे के अंतराल पर पिये।
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तरबूज के बीज के
अंदर का हिस्सा और खसखस अलग-अलग पीसकर बराबर मात्रा में मिलाकर रख लें। उच्च
रक्तचाप रोगी तैयार इस चूर्ण का रोज सुबह एक चम्मीच सेवन करें।
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उच्च रक्तचाप को जल्दी नियंत्रित करने के लिए आप आधा गिलास
पानी में आधा नींबू निचोड़कर 2-2 घंटे के अंतर से पीते रहें, इससे आपका उच्च
रक्तचाप जल्द ही काबू में आने लगेगा।
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इस गंभीर समस्या
से जूझने वाले व्यक्ति को चोकर युक्त आटे का सेवन करना चाहिए। इसके लिए आप गेहूं व
चने के आटे को बराबर मात्रा में लेकर बनाई गई रोटी खूब चबा-चबाकर खाएं, आटे से चोकर न निकालें।
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लहसुन के सेवन से
उच्च रक्तचाप के डायलोस्टिक और सिस्टोलिक सिस्टम में राहत मिलती है। इसलिए उच्च
रक्तचाप रोगी को रोजाना खाली पेट एक लहसुन की कली निगलनी चाहिए। इसके अलावा लहसुन
में एलिसीन होता है, जो नाइट्रिक ऑक्साइड के उत्पादन को बढ़ाता है
और मांसपेशियों को आराम पहुंचाता है।
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आंवला में
विटामिन सी होता है। यह रक्त संचार को दुरुस्त करने में मदद करता हैं साथ ही कोलेस्ट्रॉल
को भी कंट्रोल में रखता है।
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तिल का तेल और चावल
की भूसी को एक साथ खाने से उच्च रक्तचाप नियंत्रण में रहता है। यह हाइपरटेंशन के
मरीजों के लिए भी लाभदायक होता है। माना जाता है कि यह ब्लड प्रेशर कम करने वाली
अन्य औषधियों से ज्यादा बेहतर होता है।
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इलाइची का नियमित
सेवन करने से से ब्लड प्रेशर प्रभावी ढंग से कम होता है। इसे खाने से शरीर को
एंटीऑक्सीडेंट मिलते हैं। साथ ही, यह रक्त संचार को दुरुस्त करता है।
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नियमित प्याज
खाने से कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण में रहता है। इसमें क्योरसेटिन होता है। यह एक ऐसा
ऑक्सीडेंट फ्लेवेनॉल है, जो दिल को बीमारियों से बचाता है। कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण
नियंत्रण में होने से उच्च रक्तचाप की समस्या कम होने लगती है।
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दालचीनी के सेवन
से ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है। दालचीनी में एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है यह
ब्लड सर्कुलेशन को सुचारू रखता है। लेकिन आपको दालचीनी का कम मात्रा में ही सेवन करना
चहिये।
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सौंफ, जीरा, शक्कर तीनों बराबर मात्रा में लेकर पाउडर बना
लें। एक गिलास पानी में एक चम्मच मिश्रण घोलकर सुबह-शाम पिने से रक्तचाप काबू में
रहेगा।
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उच्च रक्तचाप
रोगियों के लिए पपीता भी बहुत लाभ करता है, इसे प्रतिदिन खाली पेट
चबा-चबाकर खाएं।
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उच्च रक्तचाप का
एक प्रमुख कारण होता है रक्त का गाढ़ा होना। रक्त गाढ़ा होने से उसका प्रवाह धीमा हो
जाता है। इससे धमनियों और शिराओं में दवाब बढ जाता है। इस समस्या से निजात पाने के
लिए आप लहसुन का सेवन कर सकते हैं।
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