वृक्क यानि की किडनी मानव शरीर का सबसे खास अंग है। यह कई कार्यों को अंजाम देता है, आप इसके कार्यों और इसकी संरचना की तुलना किसी बड़ी मशीन से कर सकते हैं। यह मानव शरीर का सबसे संवेदनशील अंग माना जाता है, जोकि मानव शरीर के शारीरिक और मानसिक विकास में अहम भूमिका अदा करता हैं। किडनी में आई थोड़ी से भी खराबी व्यक्ति को कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। अगर किडनी में समस्याएँ बढ़ जाए तो किडनी विफल होने की आशंका रहती है, जिससे व्यक्ति की मौत भी हो सकती है।
इसलिए हमें अपनी किडनी को हमेशा स्वस्थ रखना चाहिए, ताकि हमारा शरीर हमेशा स्वस्थ बना रहे। किडनी को स्वस्थ रखने से पहले हमें किडनी को और उसके कार्यों को अच्छे से जान लेना चाहिए, ताकि हम इसकी अच्छे से देखभाल कर सके। चलिए अब जानते हैं कि किडनी क्या-क्या काम करती है? तो आपको बता दें कि किडनी हमारे शरीर को स्वस्थ रखने के लिए निम्नलिखित जरूरी कार्य करती है :-
रक्त को साफ करना -
किडनी बिना रूके शरीर में बनने वाले अनावश्यक जहरीले अपशिष्ट उत्पादों को हटाकर उन्हें पेशाब द्वारा बाहर निकाल कर रक्त साफ करने का काम करती है।
अपशिष्ट उत्पादों को निकलना -
किडनी खून साफ करने का सबसे जरूरी काम करती है, खून साफ करने के दौरन किडनी खून में मिलने वाले सारे अपशिष्ट उत्पादों को पेशाब के जरिये शरीर से बाहर निकाल देती है। इन अपशिष्ट उत्पादों में पोटेशियम, सोडियम, यूरिया, यूरिक एसिड, शर्करा जैसे कई उत्पाद होते हैं। इन अपशिष्ट पदार्थों का जमा करना हमारे शरीर के अंदर जहर को बनाए रखने के समान है। क्रीएटिनिन और यूरिया दो महत्वपूर्ण अपशिष्ट उत्पाद हैं। रक्त में इन दोनों की बढती मात्रा किडनी की कम होती कार्यक्षमता को दर्शाता है। जब दोनों किडनी खराब हो जाती हैं, तो क्रीएटिनिन और यूरिया की मात्रा रक्त परीक्षण में उच्च स्तर पर पहुँच जाते हैं।
शरीर में पानी का संतुलन -
किडनी का दूसरा मुख्य कार्य होता है शरीर में पानी की मात्रा को संतुलन में बनाएं रखना। जब शरीर में पानी की मात्रा अधिक हो जाती है तो पेशाब का निर्माण अधिक होता है और वहीँ कम पानी पीने के कारण शरीर में निर्जलीकरण की समस्या उत्पन्न होती है और पेशाब कम आता है। अथवा पसीना अधिक निकलने पर मूत्र की मात्रा घट जाती है, तात्पर्य यह कि किडनी शरीर में जल की मात्रा को सन्तुलित करने का कार्य करते हैं। जब किडनी खराब हो जाती हैं तो किडनी अतिरिक्त पानी को शरीर से बाहर नहीं निकाल पाती जिसके कारण  शरीर में अतिरिक्त पानी एकत्रित होने के चलते’ शरीर में सूजन हो जाती है।
अम्ल एवं क्षार का संतुलन -
किडनी शरीर में अम्ल और क्षार का सन्तुलन बनाने का कार्य करती है। अधिक मात्रा में अम्लीय पदार्थो को ग्रहण करने पर अनावश्यक तत्वों को किडनी पेशाब के रुप में शरीर से उत्सर्जित कर देते हैं जबकि क्षारीय शरीर तत्वों की अधिकता होने पर इन तत्वों को रक्त से छानकर किडनी पेशाब के साथ उत्सर्जित कर देते हैं।
रक्तकणों के उत्पादन में सहायता -
किडनी शरीर में खून बनाने का भी कम करती है। किडनी के भीतर ERYOTHROIETIC नाम का एक HORMONE मिलता है जोकि खून बनाने का काम करता है। एरिथ्रोपोएटीन किडनी में बनता है किडनी के फेल होने की स्थिति में यह पदार्थ कम या बिल्कुल ही बनना बंद हो जाता है, जिससे लाल रक्तकणों का उत्पादन कम हो जाता है और खून में फीकापन आ जाता है, जिसे एनीमिया (खून की कमी का रोग) कहते हैं।
हडिड्यों की मजबूती बनाएं -
हड्डियों को मजबूत करने के लिए किडनी विटामिन के और डी का निर्माण करती है। जोकि भोजन से कैल्सियम के अवशोषण, हडिड्यों और दांतों के विकास और हडिड्यों को मजबूत और स्वस्थ रखने के लिए आवश्यक होता है।
किडनी खराब कैसे हो जाती है?
आपने ऊपर किडनी की आंतरिक और बाहरी संरचना के बारे में विस्तार से जाना। किडनी का मुख्य कार्य रक्त शोधन करना होता है। लेकिन किडनी खराब होने के कारण किडनी अपने इस महत्वपूर्ण कार्य को करने में समर्थ नहीं होती। किडनी खराब होने के मुख्य रूप से तीन कारण होते हैं जो निम्नलिखित है –
मधुमेह
जो व्यक्ति मधुमेह की बीमारी से जूझ रहे हैं, उन्हें किडनी की विफलता की समस्या हो सकती हैं। मधुमेह में रक्त में शर्करा की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे किडनी को रक्त शोधन करने में बाधा होती हैं। रक्त में शर्करा की मात्रा बढ़ने से किडनी के फिल्टर्स खराब होने लगते हैं। फिल्टर्स खराब होने के कारण किडनी प्रोटीन को रक्त में प्रवाह नहीं कर पाती, साथ ही अपशिष्ट उत्पादों को भी पेशाब के जरिये शरीर से बाहर नहीं निकाल पाती। फलस्वरूप किडनी खराब हो जाती है।
उच्च रक्तचाप
रक्त में सोडियम की अधिक मात्रा होने के कारण उच्च रक्तचाप की समस्या पैदा होती है। लगातार उच्च रक्तचाप होने के कारण किडनी पर दबाव बढ़ने लगता है जिससे किडनी को कार्य करने में समस्या होती है साथ ही उसके फिल्टर्स पर भी असर पड़ता हैं। किडनी पर दबाव बढ़ने के चलते वह अपने कार्य को करने में असमर्थ हो जाती हैं। इस स्थिति में किडनी द्वारा रक्त में प्रोटीन, क्षार और अन्य रसायनों का संतुलन नहीं बना पाता है। रक्त में क्षार और प्रोटीन की अधिक मात्रा होने के कारण उच्च रक्तचाप की समस्या होने लगती है। उच्च रक्तचाप होने के कारण किडनी पर दबाव बढ़ने लगता है, साथ ही अन्य समस्याओं के चलते किडनी खराब हो जाती है।
किडनी की बीमारी का पारिवारिक इतिहास
जिस परिवार में किसी व्यक्ति को पॉलीसिस्टिक किडनी रोग रहा हो, तो भविष्य में उसकी संतान को पॉलीसिस्टिक किडनी रोग होने का खतरा रहता है। इसके अलावा उन्हें कोई अन्य किडनी रोग होने का भी खतरा हो सकता है|