कॉफी पीने से होती है “किडनी खराब”


कॉफी पीने से होती है “किडनी खराब” 

Image result for coffee
शरीर में ताजगी के लिए और थकान दूर करने के लिए लोग कॉफी का सेवन बहुत अधिक मात्रा में करते हैं। जो लोग देर-देर रात तक जग कर काम करते हैं, उन्हें अपनी नींद को दूर रखने के लिए कॉफी की जरुरत पड़ती है। अगर आप दिन में तीन बार से ज्यादा कॉफी का सेवन करते हैं, तो आपको इसके नकारात्मक प्रभाव झेलने पड़ सकते हैं। आपको बता दें की कॉफी का अधिक सेवन किडनी के लिए हानिकारक होता है। 
कॉफी कैसे करता है किडनी खराब?
कॉफी का सेवन करना सभी लोग पसंद करते हैं, लेकिन अधिक मात्रा में कॉफी के सेवन से किडनी खराब हो सकती है। कॉफी के अंदर कैफीन नाम का एक तत्व मिलता है, जो स्वास्थ के लिए हानिकारक होता है। शरीर में कैफीन की अधिक मात्रा किडनी की विफलता का कारण बन सकता है। कॉफी निम्नलिखित कारणों के चलते किडनी को खराब कर सकती है -
कैफीन के अधिक सेवन से शरीर में पोटेशियम की मात्रा बढ़ने लगती है। शरीर में पोटेशियम की अधिक मात्रा होने के कारण किडनी पर दबाव बढ़ता है और किडनी खराब हो जाती है। 
कैफीन शरीर में डोपोमाईन को सक्रीय कर देता है, जो टोक्सिक को बढ़ा देता है जो नशीले पदार्थ की तरह शरीर पर बुरा प्रभाव डालता है। यह शरीर की एनर्जी को कम ज्यादा करता रहता है, जिससे मानसिक तनाव बढ़ता है। 
कैफीन से रक्तचाप बढ़ता है। अधिक मात्रा में कॉफी के सेवन से आपको उच्च रक्तचाप की समस्या हो सकती है, जिससे किडनी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और आपकी किडनी खराब हो जाती है। 
अधिक मात्रा में कॉफी का सेवन करने से शरीर में कोलेस्ट्रोल बढ़ने का खतरा है। कोलेस्ट्रोल बढ़ने के कारण दिल से जुड़ी समस्याएं और उच्च रक्तचाप की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
कॉफी के अधिक सेवन से किडनी में पथरी बनने का खतरा भी रहता है। दरअसल कॉफी में ऑक्सलेट तत्व मौजूद होता है, जो खून में मौजूद कैल्शियम के साथ मिलकर कैल्शियम ऑक्सलेट का निर्माण करता है। कैल्शियम ऑक्सलेट के निर्माण से किडनी में पथरी बन जाती है। 
कॉफी के अधिक सेवन से मधुमेह होने का भी खतरा रहता है। मधुमेह किडनी खराब होने के मुख्य कारणों में से एक है। मधुमेह होने पर रक्त में शर्करा की मात्रा बढ़ जाती है, शर्करा युक्त रक्त शुद्ध करने के लिए किडनी को अधिक कार्य करना पड़ता है जिससे किडनी खराब हो जाती है। 
शरीर में कैफीन की अधिक मात्रा सूजन का कारण बन सकती है। जब शरीर में कैफीन की मात्रा अधिक हो जाती है, तो किडनी अपशिष्ट उत्पादों को शरीर से बाहर निकालने में असमर्थ हो जाती है। शरीर में अपशिष्ट उत्पाद अधिक हो जाने के चलते शरीर में सूजन आ जाती है। वहीं कैफीन की अधिक मात्रा ना केवल हाथ पैरों में सूजन लाती है बल्कि यह किडनी में भी सूजन ला सकती है।
कॉफी के अंदर अम्लीय तत्व मिलते हैं, जो पाचन तन्त्र को खराब कर सकते हैं। पाचन तन्त्र खराब होने से किडनी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, इसलिए कॉफी का कम ही सेवन करें।
किडनी खराब होने के कारण :-
किडनी ना केवल कॉफी के अधिक सेवन से खराब होती है, बल्कि इसके खराब होने के अन्य कई कारण भी हो सकते हैं, जो निम्नलिखित है - 
मधुमेह – 
जीवनभर साथ चलने वाली बीमारी यानि "मधुमेह" को किडनी खराब होने का मुख्य कारण माना जाता है। एक बार मधुमेह होने के बाद इससे बच पाना मुश्किल होता है। मधुमेह के कारण हमारे शरीर में और भी कई प्रकार की beemariyaan होना शुरू हो जाती है। जैसे रक्तचाप में अधिक मात्रा में उतार-चढाव का होना,  मोटापा बढ़ना आदि। मधुमेह होने पर रक्त में शर्करा की मात्रा बढ़ जाती है, शर्करा युक्त रक्त को शुद्ध करते समय किडनी पर दबाव पड़ता है। किडनी पर लगातार दबाव पड़ने के कारण किडनी खराब हो जाती है। 
उच्च रक्तचाप – 
हमेशा उच्च रक्तचाप रहने के कारण से भी किडनी खराब हो सकती है। उच्च रक्तचाप के पीछे सोडियम यानि नमक होता है, अगर रक्त में सोडियम की मात्रा अधिक हो जाए तो व्यक्ति को उच्च रक्तचाप की समस्या उत्पन्न होने लगती है। उच्च रक्तचाप के कारण शरीर में रक्त प्रवाह में समस्या होती है, साथ ही अधिक क्षार युक्त रक्त को बार बार शुद्ध करने के कारण किडनी पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और किडनी खराब हो जाती है। जो लोग हमेशा गुस्से में रहते हैं  उनका रक्तचाप भी हमेशा बढ़ा हुआ रहता है। बता दें उच्च रक्तचाप के कारण व्यक्ति को दिल से जुडी समस्या भी उत्पन्न हो सकती है।
मूत्र संक्रमण – 
मूत्र संक्रमण या यूरिन ट्रैक इन्फेक्शन (UTI) एक गंभीर समस्या है। काफी बार यह समस्या खुद-ब-खुद ठीक हो जाती है, लेकिन कई बार इस समस्या से निजात पाने के लिए चिकित्सक के पास जाना पड़ता है। बड़ों की तुलना में बच्चे इस बीमारी के अधिक शिकार होते हैं। मूत्र संक्रमण के दौरान किडनी पर नकारत्मक प्रभाव पड़ता है, जिससे किडनी संक्रमण होने का खतरा रहता है। किडनी संक्रमण समय के साथ किडनी फेल्योर जैसी गंभीर बीमारी बन जाता है। यह गंभीर बीमारी विशेषकर 10 से कम वर्ष के बच्चों को होती है। इस बीमारी की चपेट में सबसे महिलाऐं ज्यादा आती है, प्रतिशत में बात करे तो 8-9 प्रतिशत महिलाऐं इस बीमारी की शिकार होती है और 5 प्रतिशत पुरुष इस बीमारी से घिरते है। 
दर्द निवारक दवाओं का सेवन – 
कुछ लोगो को हर छोटी सी बीमारी में दवा लेने की आदत होती है, जो शरीर के लिए नुकसानदायक होता है। इसमें सबसे खतरनाक दर्द निवारक दवाएं होती है। अधिक मात्रा में दर्द निवारक दवाओं के सेवन से किडनी की कार्यक्षमता पर असर पड़ता है। जिससे किडनी धीरे धीरे काम करना बंद कर देती है। जिसे हम आम भाषा में किडनी खराब होना कहते हैं। इसलिए हर छोटी समस्या में दर्द निवारक दवाओं का सेवन करने से बचे ज्यादा जरुरत होने पर ही दवाओं का सेवन करे। अधिक मात्रा में दर्द निवारक दवाओं के सेवन से व्यक्ति को उच्च रक्तचाप जैसी समस्या का सामना भी करना पड़ सकता है। 
किडनी खराब होने के लक्षण :-
किडनी खराब होने में लंबा समय लगता है, जब तक रोगी को इस बारे में पता चलता है उस समय तक रोगी की किडनी 60-65% तक खराब हो चुकी होती है। किडनी खराब होने की स्थिति में शरीर में इसके कई लक्षण दिखाई देते हैं। जिसकी पहचान कर आप इस जानलेवा बीमारी से मुक्ति पा सकते हैं। लेकिन कम जागरूकता होने के कारण आपको इस बारे में पता ही नहीं चल पाता। किडनी खराब होने के समय शरीर में निम्नलिखित बदलाव या लक्षण दिखाई देते हैं - 
सांस लेने में तकलीफ
बार-बार उल्टी आना
पेशाब करने में दिक्कत होना 
शरीर के कुछ हिस्सों में सूजन
आंखों के नीचे सूजन
कंपकंपी के साथ बुखार होना
पेट में दर्द
पेशाब में रक्त और प्रोटीन का आना
बेहोश हो जाना
पेशाब में प्रोटीन आना
गंधदार पेशाब आना 
पेशाब में खून आना 
अचानक कमजोरी आना 
पेट में दाई या बाई ओर असहनीय दर्द होना 
नींद ना आना 
कमर दर्द होना
कर्मा आयुर्वेदा किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार :-
किडनी हमारे शरीर के लिए कितनी उपयोगी है, आप इस बात का अंदाजा इस बात से ही लगा सकते हैं कि किडनी हमारे शरीर में संख्या में दो होती है। अगर एक किडनी खराब हो जाए तो दूसरी किडनी के सहारे से व्यक्ति जीवित रह सकता है। लेकिन वर्तमान समय में क्रोनिक किडनी डिजीज के रोगियों की संख्या बढती जा रही है। क्रोनिक किडनी डिजीज एक जानलेवा बीमारी है जिसे साइलेंट किलर भी कहा जाता है। क्रोनिक किडनी डिजीज होने में महीनों से लेकर सालों तक का समय लग जाता है। 
क्रोनिक किडनी डिजीज को डायलिसिस द्वारा ठीक करने के बहुत से दावे किये जाते हैं लेकिन सत्य यह है की डायलिसिस द्वारा इस बीमारी से पूरी तरह राहत भर ही मिल सकती है। एक समय के बाद डायलिसिस से भी रोगी को कोई राहत ना मिलने के बाद रोगी को किडनी बदलने की सलाह दी जाती है। लेकिन आयुर्वेद द्वारा किडनी फेल्योर की बीमारी से आसानी से छुटकारा पा सकते है। आयुर्वेद द्वारा हर जानलेवा बीमारी को जड़ से खत्म किया जा सकता है

Post a Comment

0 Comments