ललितपुर में किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार


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किडनी मानव शरीर का एक अभिन्न अंग है। इसके बिना शरीर के ठीक से काम करने कि कल्पना तक नहीं जा सकती। किडनी हमारे शरीर में कई महत्वपूर्ण कार्य करती है। हमारे शरीर में दो किडनी होती है। दोनों का एक ही काम होता। किडनी हमारे शरीर से अपशिष्ट पदार्थों को फिल्टर कर उन्हें पेशाब के माध्यम से बहार निकालती है। किडनी का मुख्य कार्य हमारे रक्त को साफ़ करना है। किडनी हमारे शरीर में  पानी की मात्रा, सोडियम, पोटेशियम और कैल्शियम की मात्रा का संतुलन बनाएं रखती है। जिससे हमारे शरीर के बाकि अंग ठीक से काम कर पते है। इसके अलावा किडनी  अम्ल एवं क्षार निकालने में मदद करते हैं जिससे शरीर में एसिड एवं क्षार का संतुलन बना रहता है।


ये है किडनी के मुख्य कार्य :-
खून को साफ करना,
पेशाब बनाने का काम,
हड्डियों को मजबूती प्रदान करना,
रक्तकणों के बनाने में सहायता करना,
शरीर में पानी का संतुलन बनाए रखना,
शरीर से अपशिष्ट पदार्थों को निकालना,
शरीर में रक्त  के दबाव को नियंत्रित रखना,
सोडियम, पोटैशियम, क्लोराइड, मैग्नेशियम, फॉसफोरस, बाइकार्बोनेट की मात्रा संतुलित रखना।

लेकिब अब लगातार बदलते लाइफस्टाइल के कारण हमारी किडनी लगातार बीमार यानि ख़राब होती जा रही है। एक शोध कि माने तो विश्व भर में 100 मे से करीब 17 लोगों की किडनी बीमार हो चुकी है। बिगड़ती जीवनशैली के कारण पिछले 15 वर्षों में किडनी के रोगों में दोगुने का इजाफा हुआ है। चूंकि इसके लक्षण देर से पता चलते हैं,  इसलिए विशेषज्ञ 35 के बाद नियमित जांच की सलाह देते हैं। आपको बता दें कि कई लोगो को आखरी समय तक यह नहीं ज्ञात हो पता कि उनकी किडनी ख़राब हो चुकी है। क्योंकि उन्हें इस रोग को लेकर जानकारी नहीं है। अधिकतर लोग जागरूकता के चलते इस जानलेवा बीमारी कि चपेट में आ रहे है। 

किडनी फेल्योर पर शोध :-

यह तो सभी को पता है कि खाने के कारण भी हमारी किडनी ख़राब होती है। इसी विषय को आधार बना कर अमेरिका में शोध हुआ। अध्ययन कि पूरी जानकारी अमेरिकन सोसाइटी ऑफ नेफ्रोलॉजी नामक जर्नल में प्रकाशित कि गयी। प्रकाशित अध्ययन के अनुसार अधिक मात्रा में मांसयुक्त आहार लेने वालों में किडनी फेल होने की आशंका कम मात्रा में मांस खाने वालों की तुलना में तीन गुनी अधिक होती है। शोधकर्ताओं ने मरीजों को आहार में मांस को सीमित करने और फल व सब्जियों का सेवन अधिक करने की सलाह दी है। शोध के दौरान यह भी सामने आया कि डाइटरी एसिड की उच्च मात्रा से किडनी के काम बंद होने की प्रक्रिया तेज हो जाती है। 
भारत में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं कि किडनी सबसे ज्यादा ख़राब होती है। कारण "रसोईघर"। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टॉक्सिकोलॉजिकल रिसर्च (आईआईटीआर) द्वारा किये गए एक शोध में यह सामने निकल कर आया कि जरूरत से ज्यादा रसोई में रहना महिलाओं के लिए जानलेवा है। जिन रसोईघरों में हर समय काम होता है, वहां देर तक गैस जलने से अमूमन तापमान 30 डिग्री तक पहुंच जाता है। लगातार गर्मी भरे माहौल में रहने और पीएएच मान के अधिक होने की वजह से किडनी पर बुरा असर पड़ता है। इसलिए रसोई में वेंटिलेशन का खास इंतजाम होना चाहिए।

किडनी ख़राब होने के लक्षण :-
किडनी ख़राब होने कि स्थिति में हमारे शरीर में निम्नलिखित बदलाव देखने में आते है। इन लक्षणों कि पहचान कर हम यह जान सकते है कि हमारी किडनी ख़राब है या नहीं। यदि आप निम्न लक्षणों कि पहचान अपने अंदर या अपने किसी परिजन में करते है तो तुरंत "कर्मा आयुर्वेदा" से सम्पर्क करे। 
पेशाब के रंग में बदलाव आना
पेशाब करते वक्त दर्द या जलन महसूस होना
पेशाब करते समय प्रोटीन पास होना
पेशाब आने की मात्रा का बढ़ना
किडनी में सजून आना
चिड़चिडापन और एकाग्रता में कमी
हर समय ठंड महसूस होना
स्किन पर रेशैज़ और खुजली होना
पेशाब करने में दिक्कत होना
बार-बार पेशाब आने का अहसास होना

क्यों होती है किडनी ख़राब ?
हमारी किडनी वैसे तो कई कारणों के चलते ख़राब हो जाती है। लेकिन कुछ ऐसे कारण है जिसके चलते हमारी सबसे ज्यादा ख़राब होती है। किडनी ख़राब होने के कारण निम्नलिखित है-

पेशाब रोकना   
पानी कम पीना 
भोजन में नमक कि मात्रा अधिक रखना  
लगातार रक्तचाप और मधुमेह का उच्च रहना और उपचार में लापरवाही     
ज्यादा मात्रा में दर्द निवारक दवाएं लेना हर
अधिक मात्रा में सॉफ्ट ड्रिंक्स, सोडा और बहुत शराब का सेवन करना 
विटामिन-डी की कमी 
अनियमित जीवनशैली
प्रोटीन, पोटैशियम, सोडियम, फॉस्फोरस वाले खाद्य पदार्थों का बहुत ज्यादा लेना
ख़राब किडनी को आयुर्वेद से स्वस्थ करे :-
किडनी ख़राब होने कि खबर सुनते ही हमारे दिमाग में सबसे पहले डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट का विचार आता है। विज्ञानं ने आज इतनी तरक्की कर है कि अब एलोपैथी के द्वारा हर बीमारी का उपचार है। लेकिन एलोपैथी उपचार द्वारा हम किसी भी रोग से रहत भर ही प् सकते है। लेकिन आयुर्वेद द्वारा हम किसी भी रोग को जड़ से ख़त्म कर सकते है। 
किडनी फेल्योर कि बीमारी को आयुर्वेद की मदद से पूर्णतः खत्म किया जा सकता है। आयुर्वेद में में इतनी शक्ति है की वह हर रोग जड़ से ख़त्म करने की ताक़त रखता है।  बल्कि अंग्रेजी दवाओं में बीमारी से कुछ समय के लिए राहत भर ही मिलती है। लेकिन आयुर्वेद में बीमारी को खत्म किया जाता है। 

आज भारत में "कर्मा आयुर्वेदा" प्राचीन भारतीय पद्धत्ति की मदद से किडनी फेल्योर का सफल इलाज कर रहा है। कर्मा आयुर्वेद सिर्फ आयुर्वेद की की सहायता से बीमारी को खतम करता है वो भी बिना डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट के। कर्मा आयुर्वेदा 1937 से किडनी रोगियों का इलाज करते आ रहे हैं। वर्तमान समय में डॉ. पुनीत धवन इसका नेतृत्व कर रहे है। आपको बता दें कि आयुर्वेद में डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट के बिना किडनी की इलाज किया जाता है। कर्मा आयुर्वेदा किडनी ठीक करने को लेकर चमत्कार के रूप में साबित हुआ हैं। 

ललितपुर में किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार किया जा रहा है। आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता हैं। जिससे हमारे शरीर में कोई साइड इफेक्ट नहीं होता हैं। साथ ही डॉ. पुनीत धवन ने 35 हजार से भी ज्यादा किडनी मरीजों को रोग से मुक्त किया हैं। वो भी डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना।     





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