खराब जीवनशैली और गलत खानपान की वजह से किडनी की बीमारी का खतरा अधिक बढ़ता जा रहा है। ऐसे में आपको अपना खास ख्याल रखने की जरूरत है। इस बदलती लाइफस्टाइल में हमें ऐसा खाना नहीं मिल पाता है, जितनी जरूरत होती है और न ही हम आयुर्वेदिक चीजों का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि, अगर हम अपनी लाइफस्टाइल में कुछ खास बातों का ही ख्याल रखें तो तब हम इस बीमारी को अपने शरीर से दूर रख सकते हैं। सबसे पहले आपको इस बीमारी के संकेतों को जानना बेहद जरूरी है।
किडनी रोगियों के लिए रामबाण उपाय -
किडनी के बिना जिंदगी के बारे में सोच भी नहीं सकते है। यदि किडनी
खराब हो जाए तो काफी समस्याएं होती है। किडनी के मरीजों को महीने में 1 बार
डायलिसिस करवाना पड़ता है। जिसमें शरीर का गंदा रक्त बाहर निकाला जाता है और नया
रक्त चढाया जाता है। ऐसा करने से किडनी ठीक तो नहीं होती, लेकिन कुछ समय के लिए
परेशानी हट जाती है। कुछ रोगियों की किडनियां तो पूरी तरह ही खराब हो जाती है और
डॉक्टर उन्हें ट्रांसप्लांट की सलाह देते हैं, लेकिन यह काफी दर्दनाक और मेहंगा
इलाज होता है। जो हर कोई नहीं करवा सकता हैं। ऐसे में कुछ घरेलू उपचार की मदद से
इस बीमारी को दूर किया जा सकता है और डायलिसिस या किडनी ट्रासंप्लांट से बच सकते
हैं।
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नीम और पीपल – नीम
और पीपल के पौधों से किडनी की बीमारी को ठीक किया जा सकता है । इसके लिए इन पौधों
की छाल का इस्तेमाल करते हैं। इसका काढ़ा बनाकर रोगी को पिलाने से अधिक फायदा होता
है। इसको बनाने के 10 ग्राम नीम और 10 ग्राम पीपल की छाल को तीन गिलास पानी में
डालकर उबालें। जब पानी आधा रह जाएं, तो इसे एक बोतल में डाल कर रखें। इस काढ़े को
3-4 भाग में बांट कर सेवन करें। इसके इस्तेमाल से हफ्ते के अंदर क्रिएटिनिन लेवल
स्तर संतुलित हो जाता है। लेकिन इसका इस्तेमाल करने से पहले अपनी जांच जरूर
करवाएं।
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नेटल लीफ टी पिएं - बाजार में किडनी साफ करने वाली चाय उपलब्ध है। इसका नियमित रूप से
सेवन करना किडनी को ठीक करता है। नेटल चाय,
डैनडेलियन
चाय और तुलसी चाय यह कुछ ऑर्गेनिक चाय है,
जो
कि आपकी किडनी को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करती है।
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गेंहू के ज्वार और और गिलोय का रस – गेंहू
की घास को धरती की संजीवनी के रूप में माना जाता है। नियमित रूप से इसका रस पीने
से गंभीर से गंभीर बीमारी का इलाज भी हो जाता है। इसमें गिलोय का रस मिलाकर पिया
जाएं, तो यह अमृत बन जाता है। आप इस काढे को बनाने के लिए 50 ग्राम गेंहू के जवार
और गिलोय का रस को मिलाकर एक मिश्रण तैयार कर लें। रोजाना सुबह खाली पेट इस
मिओश्रण को लेने से डायलिसिस की समस्याओं से मुक्ति मिल जाएगी। यह हर्बस किडनी से अपशिष्ट
पदार्थों को बाहर निकालने में भी मदद करती है।
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मुन्नके का पानी - अगर आप किडनी रोग से जूझ रहे हैं, तो रोज रात को सोने से पहले कुछ
मुन्नके का पानी में भिगो दें और सुबह उठकर उसके पानी को पिएं। साथ ही भिगे हुए
मुन्नका खाने की जरूरत नहीं है। कुछ दिनों में आपको फायदा नजर आने लगेगा।
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गोखरू कांटा – इसके बारे में बेहद
कम लोगों ने ही सुना होगा। यह किसी भी पंसारी की दुकान में बेहद आसानी से मिल जाती
है। इसके लिए 250 ग्राम गोखरू कांटा को 4 लीटर पानी में उबालें। जब पानी 1 लीटर रह
जाए, तो इसे छानकर एक बोतल में रख लें। इस काढ़े को थोड़ा गुनगुना करके सुबह शाम
100 ग्राम पिएं। नियमित रूप से इसका सेवन करने से किडनी के रोगियों को काफी फायदा
होता है।
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पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं - पानी को योग्य और पर्याप्त मात्रा में
सेवन करने से आप किडनी से जुड़ी कई समस्याओं से बच सकते हैं, इसलिए हर रोज 7 से 8
गिलास पानी पीना जरूरी होता है। सही मात्रा में पानी पीने से आपको पसीना और पेशाब
अधिक आता है, जो कि टॉक्सिन्स की सफाई करता है।
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रोज योग करें - प्रतिदिन योग करने से आपका शरीर फीट रहता है और आप कई तरह की
बीमारियों से बचे रहते हैं। किडनी को डिटॉक्स करने के लिए भी योग करना बेहद जरूरी
है। योग करने से किडनी समेत आपके सभी अंगों तक ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है। इससे
टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में मदद मिलती है।
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चेरी और क्रैनबेरी का सेवन करें - चेरी और क्रैनबेरी का स्वाद सभी को
पसंद होता है। आप विभिन्न तरीकों से उन्हें अपने आहार में शामिल कर सकते हैं। दो
हफ्ते तक चेरी और क्रैनबेरी रोजाना लेने से यूटीआई के लक्षणों को कम किया जा सकता
है। आप इन्हें किसी भी रूप में सूखा या ताजा खा सकते हैं। साथ ही उन्हें अपने सलाद
में जोड़ें या केवल उन्हें उसी तरह खाएं। चेरी और क्रैनबेरी आपको पर्याप्त मात्रा
में एंटीऑक्सिडेंट भी प्रदान करेंगे, जो कि कई बीमारियों को भी दूर रखेंगे।
इसका
सेवन करने से पहले आप अपनी जांच जरूर करवाएं, अपने आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह के
अनुसार इस जड़ी-बूटियों का सेवन करें। लेकिन उससे पहले किडनी की बीमारी के संकेतो
को पहचानना बेहद जरूरी है।
किडनी की बीमारी होने के लक्षण -
किडनी फेल्योर में किडनी की कार्यक्षमता में अचानक रुकावट होने से
अपशिष्ट उत्पादकों का शरीर में तेजी से संचय होता है एंव पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स
के संतुलन में गड़बड़ी आने लगती है। इन कारणों से रोगी में किडनी की खराबी के
लक्षण तेजी से विकसित होते हैं। यह लक्षण अलग-अलग मरीजों में विभिन्न प्रकार के कम
या अधिक मात्रा में हो सकते हैं जैसे –
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भूख कम लगना
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मतली और बार-बार उल्टी होना
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किडनी फेल्योर में दोनों किडनी की
कार्यक्षमता अल्प अवधि में थोड़े दिनों के लिए कम हो जाती है
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यूरिन का कम होना या बंद हो जाना
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सांस फूलना
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उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर)
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चेहरे, हाथ
और पैरों में सूजन
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दस्त, अत्यधिक
रक्तस्त्राव, रक्त की कमी, तेज
बुखार
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हाई ब्लड प्रेशर से सांस लेने में
तकलीफ, सीने में दर्द, मांसपेशियों
में ऐंठन या झटके, रक्त की उल्टी होना,
असामान्य दिल की धड़कन और कोमा जैसे गंभीर जानलेवा लक्षण आदि
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कुछ रोगियों में किडनी फेल्योर के
प्रांरभिक स्टेज में किसी भी प्रकार के लक्षण नहीं दिखाई देते हैं। बीमारी का पता
संयोग से चलता है जब अन्य कारणों के लिए रक्त की जांच की जाती है।
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कमजोरी महसूस होना,
उनींदा होना, स्मरणशक्ति
कम हो जाना आदि
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रक्त में पोटेशियम की मात्रा में
वृद्धि होना
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किडनी फेल्योर के लक्षणों के अलावा जिन
कारणों से किडनी खराब हुर्ई हो उस रोग के लक्षण भी मरीज में दिखाई देते हैं,
जैसे जहरीले मलेरिया में ठंड के साथ तेज बुखार होना।
आज हम इसी में से एक गंभीर लक्षण यानी पैरों की सूजन के बारे में बात
करने जा रहे हैं, क्योंकि अधिकतर लोग इस बात से अंजान है
कि, पैरों की सूजन किसी गंभीर बीमारी का
संकेत भी बन सकता है। साथ ही किडनी की बीमारी से बचने के लिए आप इन 5 असरदार
योगासन को अपना सकते हैं।
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