बादाम दिमाग की शक्ति बढ़ाने में मदद करता है और शरीर को हेल्दी रखता है। हर घर में बड़े और बच्चे दोनों ही बादाम खाना पसंद करते हैं। कोई इसे शाम के स्नैक्स में लेता है, तो कोई बादाम को सुबह भिगोकर खाते हैं। बादाम खाने से कोई खास माप नहीं होता है, इसलिए एक व्यक्ति को मुट्ठीभर बादाम खाने की सलाह दी जाती है। लेकिन अधिक बादाम खाने से आपके शरीर को फायदों की जगह नुकसान पहुंचता है। जी हां, बादाम खाने से कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। यदि आप इसका अधिक सेवन करते हैं, तो नीचे बताई गई बातों पर ध्यान जरूर दें।
बादाम के खतरे -
बादाम बेहद पौष्टिक होते हैं। इनमें फैट की मात्रा अधिक होती है,
लेकिन ट्रांस फैट बेहद कम होता है। साथ ही इसमें कोलेस्ट्रोल भी नहीं होता है।
बादाम में कैल्शियम, फास्फोरस, विटामिन ई, फाइबर और एंटी-ऑक्सीडेंट्स होते हैं। जो
आपकी सेहत का पूरा ख्याल रखते हैं। बादाम के सेवन से कोलेस्ट्रॉल को भी नियंत्रण
किया जा सकता है, क्योंकि बादाम में इतने गुण होते हैं। इसलिए कई लोग इसका जरूरत
से ज्यादा सेवन करने लगते हैं, जो हमारी सेहत को नफा कम नुकसान अधिक पहुंचा सकते
हैं तो चलिए जानते हैं बादाम के नुकसान के बारे में –
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वजन बढ़ना – बादाम
कोलेस्ट्रॉल घटाने में मदद करते हैं, लेकिन इसमें फैट और कैलोरी की मात्रा बेहद
अधिक होती है। हर औंस बादाम में 14 ग्राम फैट और 163 कैलोरी होती है। यदि आप बादाम
से ली गई कैलोरी को बर्न करने में नाकाम रहते है, तो यह आपका वजन बढ़ा सकता है।
2000 कैलोरी की सामान्य डाइट का 20-35 फीसदी पार्ट ही बादाम से आना चाहिए, नहीं तो
आपका वजन बढ़ सकता है।
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बादाम में अधिक मैगनीज –
बादाम में मैगनीज भी काफी मात्रा में होता है। लोगों को 1.8 मिलीग्राम से 2.3
मिलीग्राम मैगनीज की जरूरत होती है। एक औंस बादाम में 0.6 मिलीग्राम मैगनीज होता
है, लेकिन अधिक बादाम खाने से यह तत्व हमारे शरीर में जरूरत से अधिक पहुंच जाता
है। बादाम की अधिक मात्रा कई दवाओं के साथ क्रिया कर सकती है। कई एंटीसेप्टिक और
ब्लड प्रेशर के लिए ली जाने वाली दवाएं आपके शरीर पर बुरा असर डालती है।
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विटामिन ई का अधिक डोज लेना –
बादाम में विटामिन ई ज्यादा मात्रा में होता है। हर औंस बादाम में 7.5 मिलीग्राम
विटामिन ई होता है। यह हमारी रोजमर्रा की जरूरत का लगभग आधा हिस्सा है। यदि आप
बादाम के साथ ऐसे आहार, जिसमें विटामिन ई की मात्रा अधिक है और
उसके कर रहे हैं, तो आप विटामिन ई के ओवरडोज के शिकार हो सकते हैं। साबुत अनाज,
दलिया, अंडा और पालक आदि में विटामिन ई काफी अधिक होती है। विटामिन ई की अधिक
मात्रा से सिरदर्द, थकान, डायरिया और पेट फूलना जैसी परेशानियां हो सकती है।
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गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्या (Gastrointestinal) – हर
औंस बादाम में 3.5 ग्राम फाइबर होता है। यह आपके पाचन क्रिया के लिए अच्छा होता
है, क्योंकि बेहतर पाचन क्रिया के लिए आपको रोजाना 25-38 ग्राम फाइबर की जरूरत
होती है। यदि आप ज्यादा फाइबर का सेवन करते हैं, तो आपको पाचन क्रिया संबंधी
परेशानियों हो सकती हैं। अगर आप बादाम अधिक खाते हैं तो आपको पानी भी अधिक मात्रा में
पिएं, क्योंकि शरीर से सारे फाइबर का इस्तेमाल कर सके।
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सामान्य व्यक्ति के लिए बादाम की
मात्रा – सामान्य व्यक्ति को रोजाना एक औंस बादाम से अधिक नहीं खाना चाहिए।
बादाम की सही मात्रा का सेवन करने के लिए उन्हें गिनने के बजाए उनका वजन करें।
बादाम का आकार छोटा-बड़ा हो सकता है। इसका अधिक मात्रा में बादाम का सेवन करने का
खतरा होता है।
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वजन कम करने वाले – यदि
आप अपना वजन कम करना चाहते हैं, तो आप बादाम का सेवन कर सकते हैं। लेकिन आपको इस
बात का ध्यान रखना चाहिए, कि इसमें फैट की मात्रा बेहद अधिक होती है। इसलिए इसका
जरूरत से अधिक सेवन करना अच्छा नहीं होता है। इसलिए जरूरी है कि, आप रोज 1.5 औंस
से अधिक बादाम का सेवन न करें। क्योंकि बादाम में अधिक मात्रा में फाइबर होता है,
इसलिए यह लंबे तक समय तक आपको पेट भरा होने का अहसास करता है।
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मरीजों के लिए बादाम –
जिन लोगों को किडनी स्टोन चया गॉल ब्लेडर संबंधी कोई बीमारी है, उन्हें बादाम का
सेवन करना चाहिए। बादाम में ऑक्सलेट अधिक होता है, दो ऐसे लोगों के लिए ठीक नहीं।
कुछ लोगों को बादाम के प्रोटीन से एलर्जी होती है। उन्हें भी इसका सेवन नहीं करना
चाहिए। आपको कड़वा बादाम कच्चा नहीं खाना चाहिए, क्योंकि इसमें प्यूसिक एसिड और हाइड्रोसिनिक
एसिड होता है जो विषैले होते हैं।
किडनी की बीमारी वाले मरीज, बादाम का सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर
से जरूर सलाह लें। लेकिन अगर आप किडनी बीमारी को पहचानना चाहते हैं तो नीचे दिए
लक्षणों देखें और तुरंत अपना आयुर्वेदिक उपचार शुरू कर दें।
जाने किडनी की बीमारी के बारे में -
किडनी में गड़बड़ी का कोई एक वजह नहीं हैं जिसे दोष दिया जो सके, इसके लिए बहुत
ऐसी वजह जिम्मेदार हैं। किडनी की बीमारी के लिए दूषित खान-पान और वातावरण को मुख्य
कारण माना जाता हैं। गंदा मांस, मछली, अंडा, फल, भोजन और गंदे
पानी का सेवन किडनी की बीमारी कारण बन सकता हैं। बढ़ते औद्योगिकीकरण, शहरीकरण और
वाहनों के कारण पर्यावरण प्रदूषण बढ गया हैं। भोजन और पेय पदार्थों में भी
कीटाणुनाशकों, रासायनिक
खादों, डिटरजेंट, साबुत, औद्योगिक
रसायनों के अंश पाएं जाते हैं। ऐसे में फेफड़े और जिगर के साथ ही किडनी भी
सुरक्षित नहीं हैं। किडनी के मरीजों की संख्या दिन पर दिन बढ रही हैं।
किडनी की बीमारी के लक्षण -
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चेहरे और पैरों में सूजन आना
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भूख कम लगना
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उल्टी होना
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कमजोरी लगना
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थकावट रहना
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एनीमिया (शरीर में रक्त की कमी)
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उच्च रक्तचाप
किडनी की बीमारी करें आहार परहेज -
हमारे शरीर को बाहर और अंदर से स्वस्थ रखना बेहद जरूरी होता है। शरीर
के अंदरूनी हिस्से हर समय अपना कार्य करते रहते हैं। हमारे शरीर में सभी अंग बहुत
महत्वपूर्ण होते हैं और उनमें से एक महत्वपूर्ण अंग किडनी भी है। इनमें से किसी भी
अंग में जरा सी भी खराबी आने पर सेहत बिगड़ने लगती है। किडनी हमारे शरीर से
अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने का काम करती है। अगर इसमें कोई खराबी आती है तो
हानिकारक पदार्थ शरीर से बाहर निकल नहीं पाते हैं, जिसका सीधा असर लीवर और दिल पर पड़ता
है। किडनी को स्वस्थ रखने और इससे जुड़ी परेशानियों को ठीक करने के लिए सही डाइट
का होना बेहद जरूरी है। बता दें कि, किडनी फेल्योर के केस में किडनी सही से काम नहीं कर पाती, जिससे किडनी पर
काफी बोझ पड़ता है। जिसके लिए शरीर में पानी, नमक और क्षारयुक्त पदार्थ की उचित
मात्रा बनाए रखने के लिए आहार में जरूरी परिवर्तन करना आवश्यक है। किडनी फेल्योर
के सफल उपचार में आहार के इस महत्व को ध्यान में रखना चाहिए।
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नमक (इसमें उच्च सोडियम होता है)
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कोल्ड ड्रिंक्स (इसमें उच्च कैलोरी, चीनी और
फास्फोरस होता है)
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पैक्ड फूड (किडनी मरीजों के लिए अच्छा
नहीं)
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ब्राउन ब्रेड (उच्च फाइबर, पोटेशियम और
फास्फोरस)
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केला (उच्च पोटेशियम) (1केला – 400mg पोटेशियम)
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संतरा (उच्च पोटेशियम)
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अचार (अचार में उच्च मात्रा में नमक का
इस्तेमाल किया जाता है)
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दूध और दूध से बने उत्पाद (इसमें उच्च
पोटेशियम होता है)
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आलू (उच्च पोटेशियम)
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टमाटर (उच्च पोटेशियम)
किडनी की गंभीर बीमारी के लिए आयुर्वेदिक उपचार -
उन्नत चरणों में अधिकांश लोग एलोपैथी उपचार का विकल्प चुनते हैं।
एलोपैथी में व्यक्ति त्वरित राहत के लिए बाद के स्टेजों में डायलिसिस या किडनी
ट्रांसप्लांट के लिए जा सकता हैं, लेकिन आयुर्वेदिक उपचार और चिकित्सा किडनी की बीमारी के लिए एक महान
उपचार साबित हुई हैं। आयुर्वेद में 100% प्राकृतिक तरीकों के साथ मन, शरीर और आत्मा
के इलाज की प्रथा हैं। एशिया में आयुर्वेदिक उपचार की पेशकश करने वाले सबसे अच्छे
क्लीनिकों में से एक कर्मा आयुर्वेदा हैं। वे 1937 से किडनी और यकृत की समस्याओं
के रोगियों का इलाज कर रहे हैंय़ ये एक बहुत अनुभवी आयुर्वेद चिकित्सक डॉ. पुनीत
धवन के अधीन काम कर रहे हैं। वह केवल अपने रोगियों के इलाज के लिए प्राकृतिक और जैविक
तरीकों का उपयोग करते हैं।
आयुर्वेद अकेले पर्याप्त नहीं हैं, लेकिन एक रोगी को स्वस्थ आहार पर जाना
चाहिए। प्रोटीन, सोडियम
और फास्फोरस जैसे कुछ पोषक तत्व होते हैं, जिन्हें किसी को अपने आहार में सीमित
करना होता हैं। प्रोसेस्ड फूड और ऐसे पोषक तत्वों का अधिक सेवन किडनी को और नुकसान
पंहुचा सकता हैं। डॉ. पुनीत धवन भी अपने रोगियों को उनकी स्थिति के अनुसार
योजनाबद्ध किडनी डाइट चार्ट की सलाह देते हैं। एक स्वस्थ जीवनशैली और आयुर्वेदिक
दवाएं किडनी को स्वस्थ्य में वापस ला सकती हैं।
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