किडनी ट्रांसप्लांट के बाद कैसे बरते सावधानियां


किडनी डिजीज के मरीज में अन्य व्यक्ति की एक स्वस्थ किडनी ऑपरेशन द्वारा लगाने को किडनी ट्रांसप्लांट कहते हैं। वैसे किडनी फेल्योर का सबसे बड़ा और अच्छा समाधान है किडनी ट्रांसप्लांट, लेकिन इसमें काफी दर्द सामना करना पड़ता है। साथ ही इसके लिए किसी डोनर को ढूंढना काफी मश्किल होता है और अधिक खर्च उठना पड़ता है। किडनी डोनेट करने के समय हर किसी को डर रहता है कि एक किडनी निकल जाएगी, तो फिर आगे जिंदगी कैसे बढ़ेगी। 
  
किडनी ट्रांसप्लांट की आवश्यकता कब पड़ती है?
किडनी डिजीज के मरीजों की दोनों किडनी जब अधिक खराब (85%) हो जाती है, तब दवाई के बावजूद मरीज की तबियत बिगड़ने लगती है और नियमित रूप से डायलिसिस की जरूरत पड़ती है। किडनी डिजीज के ऐसे मरीजों के लिए उपचार का दूसरा असरकारक विकल्प किडनी ट्रांसप्लांट माना जाता है, लेकिन आयुर्वेदिक उपचार किडनी ट्रांसप्लांट के साथ-साथ किडनी की बीमारी से भी मुक्ति दिलाता है।
किडनी ट्रांसप्लांट कैसे किया जाता है?    
एनेस्थीसिया (Anesthesia) अपना प्रभाव दिखाना पूरी तरह शुरू कर दें, सर्जन पेट में एक चीरा काटते हैं, फिर डोनर के किडनी को अंदर रखा जाता है। उसके बाद डॉक्टर आपकी धमनियों और नसों से डोनर की किडनी को किडनी की धमनियां और नसों को जोड़ते हैं। इससे नई किडनी में से खून का प्रवाह शुरू हो जाएगा। फिर नई किडनी की मूत्रनली को आपके मूत्राशय से जोड़ा जाएगा, जिससे आप सामान्य रूप से मूत्रत्याग कर पाएंगे। मूत्रनली किडनी को मूत्रशय से जोड़ने वाली ट्यूब है। अधिकतर डॉक्टर किडनी को शरीर में ही रहने देंगे। जब तक कि, वो हाई ब्लड प्रेशर या इंफेक्शन जैसी परेशानियां न पैदा कर रहे हों। चीरे को सर्जिकल धागों की मदद से सिल दिया जाएगा।
किडनी ट्रासंप्लांट में बरतें सावधानी -
किडनी ट्रांसप्लांट के बाद भले ही आपको नई जिंदगी पाने जैसा अहसास हो, लेकिन एक बात है जो नहीं भूलनी चाहिए कि डाइट से जुड़ी सावधनियां जरूर बरतें। यदि किडनी ट्रांसप्लांट के बाद आप हर तरह की चीजें खा सकते हैं, लेकिन ये बिल्कुल गलत है। सर्जरी के बाद भी आपको अपनी डाइट को लेकर अनुशासन का पालन करना चाहिए। क्योंकि सर्जरी के बाद भी आपको अपने शरीर को पूरी तरह से होने में 3 से 6 महीने तक का समय लग सकता है, इसलिए डाइट से जुड़ी नियमों का पालन करें। साथ ही ऑपरेशन के बाद ये चीजों से खाने से बचें ।      
·         समय पर कराएं टीकाकरण – किडनी ट्रांसप्लांट के बाद इंफेक्शन का खतरा काफी हद तक बढ़ जाता है। ट्रासंप्लांट के बाद किडनी रिजेक्शन से बचने के लिए रोगी को कुछ दवाएं दी जाती है, जिनका सीधा असर उनकी प्रतिरोधन क्षमता पर पड़ता है, इसलिए मरीज को वायरल, फंगल और बैक्टीरियल इंफेक्शन और यहां तक कि साधारण जुकाम या फ्लू से बचने के लिए भी पूरी सावधानी बरतनी चाहिए। इसलिए दवाओं और परहेज के अलावा आप डॉक्टर से परामर्श और टीकाकरण समय के साथ-साथ करवाते रहे।
·         खान-पान का ध्यान रखें – सही और सफल ट्रांसप्लांट के लिए खान-पान का बेहद खास ख्याल रखना चाहिए। खान-पान में अधिकतर हल्का, फेट फ्री, कम नमक वाला भोजन लेना चाहिए। रोजाना 8 से 10 गिलास पानी पीना भी जरूरी होता है। आहार में अधिक मात्रा में सोडियम, फास्फोरम, पोटेशियम न लें। इसी के साथ आप पालक, हरा धनिया, अरबी, आलू, शकरकंद के सेवन से बचें। फलों और सब्जियों को हमेशा धोकर ही खाएं। साथ ही बासी खाने का सेवन न करें।
·         डॉक्टर से संपर्क करें – किडनी ट्रांसप्लांट के बाद भी किसी प्रकार का घाव, खरोंच, चोट, यूरिनरी ट्रेक्ट या कोई भी इंफेक्शन महसूस हो या श्वसन संबंधी इंफेक्शन के लक्षण दिखाई दें जैसे कि जुकाम और खांसी तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। क्योंकि कई बार दवाओं के डोज से व्यक्ति का इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है, जिसके चलते छोटे से छोटे इंफेक्शन भी सेहत को काफी नुकसान पहुंचा सकता है।     
·         ट्रांसप्लांट फेल्योर का कारण से होने वाली समस्याएं – किडनी ट्रासंप्लांट के बाद हाई ब्लड प्रेशर की समस्या होने का खतरा अधिक रहता है। इस सामान्य रखना बेहद जरूरी होता है। इसे नियमित व्यायाम, सीमित और सादा भोजन करके नियंत्रित रखा जा सकता है। साथ ही वजन कंट्रोस में रखना भी बहुत जरूरी है, जिसके लिए नियमित हल्का व्यायाम करते रहना चाहिए। लेकिन ब्लड प्रेशर की दवाओं से भी इसे संभाला जा सकता है। दवाओं के अधिक डोज से वजन भी बढ़ सकता है, जो ब्लड प्रेशर बढ़ने का जोखिम भी बढ़ सकता है। सर्जरी के बाद भी थोडी सी भी अनदेखे ऑर्गन रिजेक्शन या ट्रांसप्लांट फेल्योर का विकार तक बन जाता है, इसलिए डॉक्टर परामर्श जरूर लें।
·         किडनी इस तरह रखें किडनी का स्वस्थ - किडनी में समस्या है इसके अधिकतर लक्षण तभी दिखाई देते हैं। जब यह आखिरी स्टेज में पहुंच जाती है। यूरिन में ब्लड आना, यूरिन अधिक या कम होना, पैरों, तलवों और टखनों में सूजन, थकान अधिक महसूस होना, नींद ठीक से न आना और मितली अथवा उल्टी भी किडनी से जुड़ी समस्या के लक्षण हो सकते हैं। आपको इस स्थिति में अपने डॉक्टर से जरूरी सलाह लेनी चाहिए। डायबिटीज बैक्टीरियल व वायरल इंफेक्शन, टॉक्सिन, एल्कोहल का इस्तेमाल, धूम्रपान, ड्रग्स किडनी को नुकसान पहुंचाते हैं, हो सके तो इन कोसो दूर रहे हैं।
   
किडनी ट्रांसप्लांट में करें परहेज -
किडनी ट्रांसप्लांट के बाद शुरूआती 2 से 3 महीने के लिए व्यक्ति को डॉक्टर के पास नियमित रूप से जाना चाहिए, क्योंकि उसके विभिन्न खून के पैमानों को मॉनिटर किया जा सके। जब तक किडनी अच्छी तरह से काम करना शुरू नहीं करती है और खून में इलेक्ट्रॉलाइटिस स्तर सामान्य नहीं होता है, तब उसके खान-पान पर कई प्रतिबंध लगाए जाते हैं।
·         किडनी ट्रांसप्लांट के बाद व्यक्ति को हल्का, नरम और कम नमक वाला खाना खाने की सलाह दी जाती है।
·         कम पोटेशियम वाला खाना खाना चाहिए।
·         किडनी ट्रांसप्लांट के बाद सेब और अनार जैसे फलों को खाने की सलाह दी जाती है, जो किडनी के लिए अच्छे होते हैं।
·         बाहर के खाने जैसे - फास्ट फूड, ऑयल स्नैक्स, होटल के खाने से बचना चाहिए।
·         खून सामान्य पैमाने की पृष्टि कर देते हैं, तो उसके बाद व्यक्ति सामान्य डाइट का सेवन कर सकते हैं। 
·         किडनी ट्रांसप्लांट कराने के बाद व्यक्ति को ऐसे भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए, जिसे अस्वास्थ्यकर समझा जाता है।
·         इन दिनों बहुत सारे लोग किडनी के खराब होने की समस्या से पीड़ित है, जिसका मुख्य कारण अधिक मात्रा में अनहेल्दी खानपान होता है।
इनका सेवन करने से पहले डॉक्टर से जरूर सलाह लें। लेकिन वह इसके लिए बहुत सारे तरीके जैसे - दवाई लेना, व्यायाम करना आदि को अपनाते है। जब यह सभी तरीकों से उन्हें लाभ नहीं पहुंचता है, तब उनके लिए एकमात्र विकल्प किडनी ट्रांसप्लांट ही बचता है। लेकिन ऐसा नहीं है, कर्मा आयुर्वेदा के आयुर्वेदिक उपचार की मदद से किडनी ट्रांसप्लांट से बच सकते हैं।





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