किडनी रोग में व्यक्ति क्या खाएं और क्या नहीं खाएं?


किडनी का महत्वपूर्ण कार्य खून से अपशिष्टों और अतिरिक्त पानी को यूरिन के जरिए बाहर निकालना। यह शरीर का रासायनिक संतुलन भी बनाए रखता है। किडनी डिजीज का अर्थ है कि, आपकी किडनी खराब है और ब्लड को सही तरीके से फिल्टर नहीं कर सकती है। इस खराबी के कारण आपके शरीर में विषाक्त पदार्थ जमा होने लगते हैं। आपको अन्य समस्याएं भी हो सकती है, जो आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है। डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर किडनी के सबसे सामान्य वजह है।
तब किडनी कई वर्षों में धीरे-धीरे खराब होती है। किडनी की बीमारी बेहद गंभीर होने से पहले तक कई लोगों को इसके लक्षण का भी पता नहीं चलता है। अगर आपको किडनी रोग है, तो ब्लड और यूरिन टेस्ट से इसका पता लगाया जा सकता है। इसके अलावा आप नीचे दिए गए संकेतो से भी किडनी रोग को पहचान सकते हैं, लेकिन आप सही आहार के साथ भी इस बीमारी से मुक्ति पा सकते हैं तो आइए जानते हैं किडनी रोग में व्यक्ति क्या खाएं और क्या न खाएं।  
किडनी रोग के संकेत -
हर मरीज में किडनी फेल्योर होने के लक्षण और उसकी गंभीरता अलग-अलग होती है। रोग की इस अवस्था में पाए जाने वाले लक्षण इस प्रकार हैं जैसे –
·         खाने में अरूचि होना, उल्टी व उबकाई आना
·         कमजोरी महसूस होना, वजन कम हो जाना
·         पैरों के निचले हिस्से में सूजन आना
·         सुबह के समय आंखों के चारों तरफ और चेहरे पर सूजन आना
·         थोड़ा सा काम करने पर थकावट महसूस होना, सांस फूलना
·         रक्त में कमी आना (एनीमिया)
·         त्वचा पर रैशेज और खुजली होना
·         पीठ के निचले हिस्से में दर्द होना
·         रात के समय बार-बार पेशाब आना
·         याद्दाश्त में कमी होना
·         नींद में नियमित क्रम में परिवर्तन होना
·         दवा लेने के बाद भी उच्च रक्तचाप की नियंत्रण में नहीं आना
·         स्त्रियों में मासिक में अनियमितता और पुरूषों में नपुंसकता का होना
किडनी फेल्योर के लक्षणों को आयुर्वेदिक उपचार और आहार चार्ट के द्वारा खत्म किया जा सकता है। साथ ही इन आहार का सेवन करने से पहले नेफ्रोलॉजिस्ट की जरूर सलाह लें। 
किडनी फेल्योर मरीजों के लिए आहार -
साथ ही किडनी शरीर के अधिक पानी, नमक और क्षार को पेशाब द्वारा दूर करके शरीर में इन पदार्थों का संतुलन बनाने का महत्वपूर्ण कार्य करती है। किडनी फेल्योर के मरीजों में पानी, नमक, पोटेशियम युक्त आहार और खाद्य पदार्थ आदि अधिक मात्रा में लेने पर भी कई बार गंभीर समस्या उत्पन्न हो जाती है। किडनी फेल्योर के केस में किडनी सही से काम नहीं कर पाती, जिससे किडनी पर काफी बोझ पड़ता है। जिसके लिए शरीर में पानी, नमक और क्षारयुक्त पदार्थ की उचित मात्रा बनाए रखने के लिए आहार में जरूरी परिवर्तन करना आवश्यक है। किडनी फेल्योर के सफल उपचार में आहार के इस महत्व को ध्यान में रखना चाहिए। इन मरीजों को कुछ इस प्रकार के आहार का सेवन करना चाहिए जैसे –
·         लौकी - एक माध्यम आकार की लौकी में कम से कम 96 प्रतिशत पानी मौजूद होता है, जो किडनी के लिए फायदेमंद आहार मानी जाती है। लौकी में कई पोषत तत्व मौजूद होने की वजह से, इंसुलिन के बनने में मदद मिलती है। लौकी के सेवन से रक्त में मौजूद शर्करा को कम किया जा सकता है और इसके जूस को पीने से यूरिन इंफेक्सन के खतरे को भी कम कर सकते हैं।
·         तुरई - तुरई की बेल को ठंडे पानी या गाय के दूध में घिसकर, लगातार तीन दिन तक रोज सुबह खाली पेट पीने से आपकी स्टोन गलकर अपने आप यूरिन के माध्यम से बाहर निकल जाएगी। तुरई में कई पोष्टिक तत्व मौजूद होते हैं जैसे कि विटामिन ए, प्रोटीन, अधिक मात्रा में फाइबर, कार्बोहाइड्रेट, पोटेशियम, फोलेट आदि।
·         गाजर – हमारे शरीर में रक्त और आंखों की रोशनी बढ़ाने के अलावा विटामिन-ए से भरपूर गाजर किडनी से टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में भी मदद करती है। इसमें मौजूद पेक्टिन किडनी में रोग होने से रोकती है।
·         टिंडा - टिंडा हमारे शरीर में मौजूद अपशिष्ट उत्पादों को बाहर निकालने में मदद करता है। रोज टिंडे का सेवन करना फायदेमंद रहेगा। टिंडे में पानी की मात्रा अधिक होने की वडह से यह पेशाब को बनाने में मदद करता है और किडनी के कार्य को करने में मदद करता है।
·         सब्जियों का रस - किडनी की समस्या से जूझ रहे रोगी अपने आहार में गाजर, खीरा, फूलगोभी तथा लौकी के रस को शामिल कर सकते हैं। ऐसा करने से आपको किडनी की समस्या से राहत मिल सकती है। इन सब्जियों के जूस के सेवन से आपकी किडनी स्वस्थ रहती है इन जूस का सेवन करना आपके के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। 
·         लहसून – सिर्फ स्वाद बढ़ाने के लिए नहीं बल्कि आपकी किडनी को हेल्दी रखने में भी लहसून मदद करता है। यह किडनी फेल होने के लक्षणों जैसे रेनल रेपरफ्यूजन इंजरी से लड़ता है
Akhilesh
·         लाल अंगूर - लाल अंगूर को भी किडनी फ्रेंडली फ्रूट माना जाता है। यह काफी स्वादिष्ट होते हैं। लाल अंगूर में उच्च विटामिन-सी और भरपूर मात्रा में फ्लावोनोइड्स मौजूद होता है, जो एक एंटी ऑक्सीडेंट का काम करते है। लाल अंगूर के सेवन करने से शरीर में कभी रक्त नहीं जमता है।
·         सेब - सेब किडनी के मरीज के लिए सबसे अच्छे विकल्प के रूप में देखा जाता है। इसमें मौजूद उच्च फाइबर और एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण किडनी की बीमारी व किडनी को स्वस्थ रखने के लिए फायदेमंद है। सेब बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल को कम करता है साथ ही किडनी की बीमारी को रोकने में भी सहायता करता है।
किडनी रोग के लिए परहेज –
·         एनीमिल प्रोटीन - एनिमल प्रोटीन में प्यूरीन मौजूद होता है, जो कि किडनी में यूरिन एसिड में परिवर्तित होने लगते हैं। यह किडनी के लिए नुकसानदेह होता है।
·         सोडियम न लें - सोडियम से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ, चिप्स, फास्ट फूड, जमे हुए भोजन, प्रसंस्कृत पनीर स्लाइस, नमक, मांस, मसालेदार खाद्य पदार्थ और केचप यह सभी सोडियम सामग्री के साथ पैक खाद्य पदार्थ न लें। इनका अधिक सेवन किडनी को खराब कर सकता है।
·         खाद्य पदार्थ - किडनी रोगियों को खाद्य पदार्थों में से फास्फोरस के सेवन से परहेज करना चाहिए, क्योंकि जिससे कैल्शियम को बनाए रखने मे मदद मिल सकें।
·         पीना की मात्रा - आप अपने डॉक्टर के अनुसार, किडनी की खराबी होने पर पानी कम मात्रा में ही पीना चाहिए तथा आहार में सोडियम, पोटेशियम और फास्फोरस की मात्रा कम होना चाहिए।
·         वसा पदार्थ - घी, तेल मक्खन और चर्बी वाले आहारों का बेहद कम ही सेवन करना चाहिए।
·         धूम्रपान न करें - तंबाकू, धूम्रपान और शराब का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए।
·         सलाह अनुसार व्यायाम - किडनी की बीमारी से बचने के लिए और किडनी को स्वस्थ रखने के लिए वर्कआउट और व्यायाम करना भी बेहद जरूरी होता है। व्यायाम से कोलेस्ट्रॉल, रक्तचाप और शरीर का वजन कम होता है और इससे आपके कार्य करने की क्षमता भी बढ़ जाती है। साथ ही इम्यूनिटी भी बढ़ता है, इसलिए हर रोज नियमित रूप से व्यायाम करना बेहद जरूरी होता है।   
किडनी रोग के लिए आयुर्वेदिक उपचार –
आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल करके दवा बनाई जाती है, जिसमें किडनी रोगियों का इलाज किया जाता है। आयुर्वेदिक दवाओं में वरूण, कासनी, गोखरू, पुनर्नवा और शिरीष जैसी जड़ी-बूटियां शामिल है जो रोग को जड़ से खत्म करने में मदद करती है। किडनी की सभी बीमारियों के लिए आयुर्वेदिक उपचार सबसे ज्यादा फायदेमंद साबित हुई है। आयुर्वेद ने दुनिया भर की मानव जाति के संपूर्ण, शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास किया है। आपके शरीर का सही संतुलन प्राप्त करने के लिए वात, पित्त और कफ को नियंत्रित करती है। आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति लंबे जीवन का विज्ञान है और दुनिया में स्वास्थ्य की देखभाल की सबसे पुरानी प्रणाली है।

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